गंगा आरती एक धार्मिक संस्कार है जो हरिद्वार की हर की पौड़ी पर दिन में दो बार होता है। इसमें शामिल होने के लिए पूरा साल श्रद्धालुओं और पर्यटकों की भीड़ रहती है।
गंगा आरती एक धार्मिक संस्कार है जो हरिद्वार की हर की पौड़ी पर दिन में दो बार होता है। इसमें शामिल होने के लिए पूरा साल श्रद्धालुओं और पर्यटकों की भीड़ रहती है।
गंगा आरती का समय सूर्य के उदय होने और डूबने के अनुसार तय होता है। मार्च से अक्टूबर में यह सुबह 5 बजे से 6:30 के बीच होती है तो शाम की आरती का समय 5:30 से 7 बजे के बीच का रहता है।
सर्दी के मौसम में सुबह के समय आरती 6:30 बजे से 7:00 बजे के बीच होती है। वहीं शाम का समय 5 से 5:30 बजे के बीच का रहता है।
गंगा आरती के लिए कहा जाता है कि मौसम के अनुसार शाम के समय यहां 3000 से 30,000 तक की भीड़ जुटती है। खास त्योहारों पर ये भीड़ एक लाख तक पहुंच जाती है।
गंगा आरती की शुरुआत मां गंगा की मूर्ति को पालकी में घाट पर लाने से होती है। इसके बाद पंडित सस्कृत में मंत्रों का उच्चारण करते हैं और साथ मां पंचामृत का भोग लगाया जाता है।
इसी दौरान ही पंडित जगन्नाथ की लिखी कविता गंग लहरी का पाठ भी होता है। इसके बाद घाट पर मौजूद श्रद्धालुओं से दक्षिणा ली जाती है।
फिर गंगा आरती शुरू होती है जो करीब 5 मिनट तक चलती है। सुबह की बजाय शाम की आरती में शामिल होने के लिए भीड़ ज्यादा उमड़ती है।
अगर आप इस अलौकिक दृश्य को देखना चाहते हैं तो बेहतर होगा कि सुबह के समय 45 मिनट और शाम को आरती के समय से करीब 75 मिनट जल्दी पहुंचें।
यहां आने के लिए ऑटो और रिक्शावालों से आपको जमकर मोलभाव करना होगा। साथ ही अपनी चीजों को लेकर भी सावधान रहना होगा।
अगर हो सके तो क्लॉक टॉवर और गंगा मंदिर के पास के पास की सीढ़ियों से गंगा आरती को देखें। यहां से व्यू बेहद खूबसूरत आता है।