नई दिल्ली। आमतौर पर विपक्ष का काम सरकार की नीतियों की आलोचना करना होता है और राजनीति का यह अभिन्न अंग है। जब विपक्ष सरकार की कार्यप्रणाली की आलोचना के साथ कुछ नीतियों की सराहना करे तो उसे रचानात्मक विरोध कहते हैं। लगता है कि बीएसपी ने सिर्फ विरोध के सुर की तिलांजलि देते हुए रचनात्मक विरोध करने का फैसला किया है।
आत्मनिर्भर भारत की तारीफ
बीएसपी मुखिया मायवती का कहना है कि केंद्र सरकार ने पीएम गरीब कल्याण पैकेज और आत्मनिर्भर भारत पक खर्च करने का ऐलान किया है। यह अच्छी बात है लेकिन यह देखना होगा कि इसका फायदा गरीबो, श्रमिकों और बेरोजगारों को मिले जो कि जमीन पर नजर नहीं आ रहा है। आज समय की मांग है कि जिन योजनाओं का बखान किया जा रहा है उन्हें जमीन पर इस तरह से उतारा जाए कि जिन्हें वास्तव में मदद की जरूरत है उन्हें हासिल हो सके।
बुनियादी कमी को दूर करे सरकार
मायावती कहती हैं कि जब प्रवासी मज़दूर आ रहे थे तब खासकर उत्तर प्रदेश सरकार ने इस बात पर जोर दिया था कि प्रवासी लोगों का उनकी योग्यता के हिसाब से रजिस्ट्रेशन होना चाहिए और इन्होंने रजिस्ट्रेशन कराया भी।लेकिन उसके बावजूद भी देखने को मिल रहा है कि जो लोग बड़ी-बड़ी डिग्री लेकर प्रदेश में आए हैं आज वो मनरेगा के तहत गड्डे खोद रहे हैं। सरकार को सोचना चाहिए कि जब लोग बड़ी-बड़ी डिग्री लेकर गड्डे खोदेंगे तो इसका शिक्षा पर कितना बुरा प्रभाव पड़ेगा।
क्या कहते हैं जानकार
राजनीति में विरोध की गुंजाइश हमेशा रहती है। लेकिन जब कोई विरोधी दल सत्ता पक्ष की नीतियों की तारीफ करे तो वो यूं ही नहीं होता है। जानकार बताते हैं कि कभी कभी ऐसा होता है कि संकट काल में अगर विरोधी दल सत्ता पक्ष की आलोचना यूं हीं करते रहे हैं तो जनमानस को लगता है कि विरोधी नेता को सिर्फ विरोध करने से ही मतलब है, सही माएने में वो देश की भलाई के बारे में नहीं सोच रहा है। लिहाजा इस तरह की अवधारणा से बचने के लिए सत्ता पक्ष की तारीफ तंज के जरिए करते हैं।
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