लखनऊ। यूपी में विधानसभा चुनाव अगले साल होने हैं। लेकिन नेता एक दूसरे पर चुनावी अंदाज में हमला कर रहे हैं। सूबे के पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने मौजूदा सीएम योगी आदित्यनाथ को बाहरी प्रदेश का बताया तो उनकी भाषा से लेकर डीएनए तक जिक्र किया। उन्होंने किसान मुद्दे पर योगी आदित्यनाथ को पूर्वी यूपी की बदहाली की याद दिलाई।
योगी जी बताएं क्या है डीएनए का फुल फॉर्म
अखिलेश यादव कहते हैं कि वह (योगी आदित्यनाथ) जिस तरह की भाषा का इस्तेमाल करते हैं, वह मंच पर हो या सदन में, एक मुख्यमंत्री इस तरह नहीं बोल सकता। कहते हैं कि इनके डीएनए में विभाजन है। अगर डीएन का फुल फॉर्म बता दें तो हम जान जाएंगे की वो सीएम हैं। उन्हें कम से कम यह स्पष्ट करना चाहिए कि डीएनए क्या है।
यूपी के नहीं हैं योगी जी
समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने शनिवार को कहा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ उत्तर प्रदेश के रहने वाले नही हैं, वह दूसरे प्रदेश से आये हैं लेकिन फिर भी यहां की जनता ने उन्हें स्वीकार किया है और प्रदेश की जनता को उन्हें धन्यवाद देना चाहिये अखिलेश यादव ने कहा कि मुख्यमंत्री कह रहे हैं कि अन्नदाता की खुशहाली दलालों को रास नहीं आ रही है, इतना बड़ा धोखा और इतना बड़ा झूठ, कोई सदन में बोल सकता है,
किसानों के साथ धोखा हुआ
मैं उनसे जानना चाहता हूं कि उनकी सरकार ने कितने किसानो को धान का न्यूनतम समर्थन मूल्य दिलवा पायी है । उन्होंने कहा कि क्या उनकी सरकार गोरखपुर, महाराजगंज, कुशीनगर, देवरिया, संतकबीर नगर, बस्ती, गोंडा और फैजाबाद जिलों में किसानों को क्या धान की एमएसपी दिला पायी है, किसी जिले में किसानों को दिला पाये है। पूरे उप्र में किस किस किसान को कितना एमएसपी दिया गया है, हम जानना चाहते है कि धान की क्या कीमत दी है आपने ।''
योगी आदित्यनाथ ने क्या कहा था
बता दें कि शुक्रवार को विधानसभा में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा था, ‘‘अन्नदाता किसान को धोखा देकर 'दलाली' करने वाले लोग आज जरूर इस बात को लेकर चिंतित हैं कि पैसा सीधे उनके (किसानों) खातों में क्यों जा रहा है। आज तो पर्ची भी किसानों के स्मार्ट फोन पर प्राप्त हो रही है। घोषित 'दलाली' का जो जरिया था वह भी समाप्त हो गया है।'मुख्यमंत्री ने शुक्रवार को सदन से बहिर्गमन कर रहे सदस्यों की ओर इशारा करते हुए कहा था' ये है वास्तविकता, ये है सच्चाई-- ये सच्चाई इस बात को बताती है कि प्रतिपक्ष का हमारे अन्नदाता किसानों से कोई लेना देना नहीं है।'
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