New Born Intensive Care Unit: उत्तर प्रदेश के न्यू बॉर्न इंटेसिव केयर यूनिट में बच्चे के साथ उसकी मां भी रह सकेगी। इसके लिए व्यवस्था की जा रही है। इसके पीछे तर्क यह रखा गया है कि मां के साथ रहने से बच्चे को स्तनपान की सुविधा मिल सकेगी। साथ ही मां के स्पर्श से बच्चे की सेहत में बेहतर सुधार होगा। प्रदेश में अभी तक कुल 77 एनबीआईसीयू चल रही हैं। यहां पर मां के लिए यूनिट के आसपास व्यवस्था बनाई जा रही है। जबकि नई बनने वाली यूनिट में बच्चे के बेड के बगल में ही मां के लिए भी बेड कि व्यवस्था होगी।
वहीं राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन ने नए प्रोजेक्ट में इसे शामिल किया हुआ है। अब अस्पतालों में बनने वाली एनबीआईसीयू में नई डिजाइन के अनुसार ही जगह तय करने का निर्देश दिया गया है।
एनएचएम के महाप्रबंधक बाल स्वास्थ्य डॉ. वेद प्रकाश ने कहा कि अभी तक जन्म के बाद बच्चे का स्वास्थ्य खराब होने पर एनबीआईसीयू में रखा जाता है। ऐसे में कई बार ऐसा होता है कि मां घर चली जाती हैं। इससे बच्चे स्तनपान नहीं कर पाते हैं। जबकि जन्म के बाद बच्चे की सेहत के लिए स्तनपान बहुत ही जरूरी है। इसी को ध्यान में रखते हुए व्यवस्था में बदलाव किया जाएगा।
प्रदेश में जन्म के घंटे भर के भीतर बच्चे को शत प्रतिशत स्तनपान कराने का नियम है। लेकिन विभिन्न कारणों से अभी तक सिर्फ 23.9 प्रतिशत बच्चों को ही स्तनपान की सुविधा प्राप्त होती है। इसी प्रकार से छह माह तक नियमित स्तनपान की दर 59.7 प्रतिशत है।
डॉ. वेद प्रकाश ने कहा कि इस नई व्यवस्था के बाद से बच्चों को स्तनपान कराने की दर में इजाफा होगा। प्रदेश में प्रतिवर्ष लगभग 53 लाख 82 हजार 299 शिशुओं का जन्म होता है। इसमें से पांच साल के अंदर लगभग 2 लाख 82 हजार 934 बच्चों की मृत्यु हो जाया करती है। यदि सभी बच्चों को एक घंटे के भीतर स्तनपान की सुविधा प्राप्त होने लग जाए तो मृत्युदर में भी तेजी से गिरावट आएगी।
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