लखनऊ के केजीएमयू में अब तकनीक से होगी उपस्थिति की निगरानी, हर विभाग में लगेंगी चेहरा पहचानने वाली मशीनें

Biometric Attendance In KGMU: किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी में अब डॉक्टर लेट आए तो सैलरी काट ली जाएगी, अब डॉक्टरों को समय पर आना होगा और पूरी ड्यूटी के बाद ही घर जा सकेंगे। केजीएमयू में बायोमैट्रिक सिस्टम लागू हो रहा है।

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किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी में अब लगेगी तकनीक से हाजिरी  |  तस्वीर साभार: Twitter
मुख्य बातें
  • केजीएमयू में तकनीक से लगेगी हाजिरी
  • हर विभाग में लगाई जाएंगी चेहरा पहचानने वाली मशीन
  • अगले सप्ताह तक फोटो खिंचवाने के लिए कहा, विरोध शुरू

Biometric Attendance In KGMU: लखनऊ स्थित किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (केजीएमयू) में बगैर जानकारी दिए गायब रहने वाले डॉक्टर और कर्मचारियों पर अब तकनीक की पैनी निगाह होगी। केजीएमयू में बायोमेट्रिक सिस्टम लागू होने जा रहा है। इसके लिए हर विभाग में चेहरा पहचान वाली मशीनें लगाई जाएंगी। इसमें अंगूठे के निशान के साथ चेहरा भी मशीन के आगे दिखाना होगा। तभी उपस्थिति दर्ज हो सकेगी। सभी डॉक्टर और कर्मचारियों को अगले सप्ताह तक इस व्यवस्था के लिए फोटो खिंचवाने के लिए कहा गया है। 

केजीएमयू में इस समय करीब 450 डॉक्टर और नियमित तथा संविदा कर्मचारियों की संख्या कुल मिलाकर दस हजार के करीब है। इनमें से काफी डॉक्टरों की लेटलतीफी की शिकायत आती हैं। 

राजभवन ने दिए बायोमेट्रिक व्यवस्था शुरू करने के निर्देश

कई बार बगैर सूचना गायब रहने की बात भी सामने आती है। इसलिए विश्वविद्यालय प्रशासन काफी पहले से बायोमेट्रिक व्यवस्था शुरू करने की कवायद कर रहा था। डॉक्टर और कर्मचारियों की लेटलतीफी की शिकायतें जब राजभवन तक पहुंचीं तो राजभवन ने भी विश्वविद्यालयों में बायोमेट्रिक व्यवस्था शुरू करने का निर्देश दे दिया। इसके बाद अब केजीएमयू प्रशासन ने फेस रिकग्निशन मशीन लगाने की शुरुआत की है। इसलिए अब विभागवार मशीनें लगाई जा रही हैं। कुछ विभागों में इस्तेमाल के लिए बायोमेट्रिक सिस्टम चालू कर दिया गया है।

बायोमेट्रिक का दंत संकाय में विरोध 

केजीएमयू के दंत संकाय के शिक्षकों ने इसे गैर जरूरी बताया है। उनका कहना है कि, कई बार ओपीडी और ऑपरेशन में देर शाम तक रुकना पड़ता है। ऐसी बंदिशों से सबकी ड्यूटी का समय भी बदलता है। इसलिए भी यह व्यवस्था शुरू नहीं हुई है। वहीं, केजीएमयू प्रवक्ता डॉ. सुधीर सिंह के अनुसार, विभागों में मशीनें लगाने का काम लगभग पूरा हो गया है। दंत संकाय के कुछ विभागों में इस्तेमाल के लिए पर इसे शुरू भी कर दिया गया है। हालांकि कुछ डॉक्टर इसका विरोध कर रहे हैं। उनका कहना है कि, कई बार ओपीडी, ऑपरेशन आदि में देर शाम तक रूकना पड़ता है। ऐसी बंदिशों से काम का माहौल खत्म हो जाएगा।

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