Lucknow Green Corridor: लखनऊ शहर को ट्रैफिक जाम से मुक्त कराने और यातायात को सुगम बनाने के लिए प्रस्तावित ग्रीन कॉरिडोर में अब बडा बदलाव होने जा रहा है। यह बदलाव ग्रीन कॉरिडोर के रास्ते में पांच संरक्षित स्मारकों के आने के कारण करना पड़ रहा है। इन्हें बचाने के लिए अब लखनऊ विकास प्राधिकरण को ग्रीन कॉरिडोर फेज दो का एलाइनमेंट बदल रहा है। इस बदलाव को लेकर लखनऊ विकास प्राधिकरण की टीम ने सर्वे भी शुरू कर दिया है। लखनऊ विकास प्राधिकरण अधिकारियों के अनुसार इस बदलाव से अब खर्च भी बढ़ेगा, जिसे डीपीआर में शामिल कर लखनऊ विकास प्राधिकरण बोर्ड के सामने रखा जाएगा।
बता दें कि, शहर को ट्रैफिक जाम से मुक्त कराने के लिए ग्रीन कॉरिडोर बनाया जा रहा है। इस प्रोजेक्ट को चार भागों में बांटा गया है। पहले भाग का काम चल रहा है, वहीं दूसरे भाग में गोमती नदी के दोनों छोर पर पक्का पुल से पिपराघाट तक कॉरिडोर बनाया जाना था। इस कॉरिडोर के रास्ते में पांच संरक्षित स्मारक आ रहे हैं। जिस वजह से अब इसके एलाइनमेंट में बदलाव किया जा रहा है।
इस ग्रीन कॉरिडोर के रास्ते में जो पांच संरक्षित स्मारक आ रहे हैं, उनमें केंद्रीय संरक्षित स्मारक विलायती बाग, रूमी दरवाजा, मछली भवन के निकट सीमेट्री, ब्रिटिश रेजीडेंसी और बड़ा इमामबाड़ा है। इन जगहों पर एलिवेटेड कॉरिडोर की सड़क व एलिवेटेड पुल निर्माण के लिए लखनऊ विकास प्राधिकरण ने पुरातत्व विभाग से एनओसी मांगी थी। पुरातत्व विभाग ने एनओसी देने से इंकार कर दिया, जिसके कारण अब कॉरिडोर का रास्ता बदलना पड़ रहा है।
इस रूकावट के बाद लखनऊ विकास प्राधिकरण उपाध्यक्ष अक्षय त्रिपाठी ने प्रोजेक्ट के मुख्य अभियंता के साथ स्थलीय निरीक्षण कर एलाइनमेंट में बदलाव के निर्देश दिए थे। जिसके बाद से इस बदलाव पर कार्य किया जा रहा है। अब तय किया गया है कि जिस क्षेत्र में संरक्षित स्मारक आ रही हैं। वहां गोमती नदी के सिर्फ एक छोर पर ग्रीन कॉरिडोर का निर्माण होगा, दूसरे छोर को बदल दिया जाएगा। इसे लेकर लखनऊ विकास प्राधिकरण की टीम ने स्थलीय सर्वे कर लिया है। अब सर्वे रिपोर्ट के आधार पर संशोधित डीपीआर तैयार किया जा रहा है।
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