उत्तर प्रदेश में 2022 विधानसभा चुनाव के लिए अब जमीन तैयार करने की शुरुआत हो चुकी है। गुरुवार को पीएम नरेंद्र मोदी ने जब अपने संसदीय क्षेत्र को करीब 1582 करोड़ का तोहफा दिया और मंच से पूर्ववर्ती सरकारों को जमकर कोसा तो माना गया कि यूपी में चुनावी तैयारी का आगाज हो चुका है। अब कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी का तीन दिनों के यूपी दौरे को उसी नजरिए से देखा जा रहा है। प्रियंका गांधी की यात्रा से पहले लखनऊ में कांग्रेस मुख्यालय पर उत्सव जैसा माहौल है।
प्रियंका गांधी का फुल पैक कार्यक्रम
बताया जा रहा है कि यात्रा के पहले दिन वो पार्टी के प्रदेश स्तर के पदाधिकारियों से मुलाकात करेंगी। उस मीटिंग में कांग्रेस की तैयारियों का जिक्र किया जाएगा। यात्रा के दूसरे दिन वो अमेठी और रायबरेली के ब्लॉक स्तर के पदाधिकारियों से मुलाकात करेंगी। बता दें कि कांग्रेस के लिए अमेठी और रायबरेली अपराजेय गढ़ रहा हालांकि अमेठी में पार्टी का तिलिस्म तब टूटा जब स्मृति ईरानी ने राहुल गांधी को परास्त कर दिया।
क्या कहते हैं जानकार
जानकारों के मुताबिक हर राजनीतिक दल अपनी तैयारियों को जांचता परखता है। जहां तक कांग्रेस की बात है कि 1990 के बाद से पार्टी की जड़ देश के सबसे बड़े सूबे में से एक यूपी में कमजोर होती चली गई। पार्टी के कद्दावर नेता जुबानी तौर पर सत्ता पक्ष को कोसते रहे। लेकिन जमीन पर जिस तरह से विरोध होना चाहिए था वो कभी नहीं दिखा। अब ऐसी सूरत में कांग्रेस के जमीनी कार्यकर्ताओं में निराशा का भाव जगा। नैराश्य भाव को खत्म करने के लिए पार्टी के शीर्ष नेतृत्व ने आमूलचूल परिवर्तन किया और प्रियंका गांधी को जिम्मेदारी दी। पिछले साल याद होगा कि हाथरस कांड पर कांग्रेस ने लीड लेने की कोशिश की। लेकिन उसके अलावा भी प्रदेश में दूसरे मुद्दे हैं उसे पार्टी उतनी मुखरता के साथ नहीं उठाती है और उसका असर सभी लोगों के सामने है।
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