लखनऊ। कोरोना महामारी की दूसरी लहर में सरकारों की कमर टूट गई। ऑक्सीजन की कमी, दवाइयों की कमी, अस्पताल में बेड्स की किल्लत ये सब आज की सच्चाई बन चुकी है। वादों और दावों की कमी के बीच लखनऊ का हिंद अस्पताल एवं ट्रॉमा सेंटर अपनी कारगुजारियों की वजह से चर्चा में हैं। कोरोना मरीज के एक तीमारदार ने जो आपबीती सुनाई है वो ना सिर्फ दिल दहलाने वाली है बल्कि सरकार के उन दावों पर भी सवाल खड़े करती है जिसका ढोल पीटा जा रहा है।
मामला कुछ यूं है
कोरोना मरीज की तीमारदार सुधा अग्रवाल ने अपनी शिकायत और दर्द की सूबे के सीएम योगी आदित्यनाथ से साझा किया है, बता दें कि उनका मरीज यानी उनके पति अब इस दुनिया में नहीं है। सुधा अग्रवाल अपने खत में लिखती हैं कि 13 अप्रैल को उनके पति एस के अग्रवाल की तबीयत खराब हो गई। इलाज के मद्देनजर वो और उनका बेटा हिंद अस्पताल और ट्रॉमा सेंटर पहुंचे। अस्पता के रिसेप्शन पर तैनात किसी कर्मचारी ने कहा कि उनके अस्पताल की एक और शाखा शिकरवार चौराहे पर बालाजी इन्क्लेव में है, आपको वहीं डॉक्टर और बेड दोनों मिल जाएंगे। वो अपने मरीज के साथ 13 अप्रैल को ही दूसरी शाखा पर पहुंची और वहां डॉ सद्दाम हुसैन मिले जिसने खुद को केजीएमसी लखनऊ का जूनियर रेजिडेंट बताया।
कोरोना की जांच के बाद मरीज को भर्ती किया गया। ऑक्सीजन का स्तर(74) कम होने की वजह से सिलेंडर के जरिए ऑक्सीजन देने का काम शुरू हुआ और 25 हजार रुपए जमा कराए गए। रात की शिफ्ट में डॉ अब्दुल वाहिद ड्यूटी पर थे। इस बीच कोविड हेल्पलाइन में जब उन्होंने अपने मरीज के बारे में जानकारी लेनी चाही तो पता चला कि उनके पति का नाम रजिस्टर नहीं है। इस संबंध में डॉ सद्दाम हुसैन से बार बार मिन्नत की गई लेकिन नतीजा सिफर रहा।
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