Lucknow PGI: उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ स्थित संजय गांधी पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (एसजीपीजीआई) में डॉक्टरों को दिखाने से ज्यादा जांच कराने में मरीजों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। एमआरआई के लिए रेडियोलॉजी विभाग में दिसंबर की डेट दी जा रही है। सीटी स्कैन और अल्ट्रा साउंड जांच में वेटिंग चल रही है। 10 साल में पीजीआई में आने वाले मरीजों की संख्या बढ़ गई, लेकिन जांच के लिए मशीनों की संख्या में बढ़ोत्तरी नहीं हो पाई।
पीजीआई में 200 की जगह 80 सीटी स्कैन हो रहे रहे हैं। संस्थान में सीटी स्कैन के लिए एक महीने और अल्ट्रासाउंड के लिए एक हफ्ते बाद की तारीख दी जा रही है। बताया जा रहा है कि एफ ब्लॉक में दो सीटी स्कैन मशीन लगी हैं, इनमें करीब 80 से 100 सीटी स्कैन हो पा रहे हैं। जबकि ओपीडी और वार्ड में डॉक्टर 200 से ज्यादा सीटी स्कैन रोजाना लिख रहे हैं। न्यूरोलॉजी और न्यूरो सर्जरी विभाग के डॉक्टर रोज करीब 70 से 80 मरीजों को एमआरआई लिख रहे हैं, लेकिन सिर्फ 22 एमआरआई हो एक दिन में हो पाती हैं।
वहीं, मरीज की बीमारी बढ़ने के डर से तीमारदार निजी सेंटरों पर जांच कराने के लिए मजबूर हो रहे हैं। निजी सेंटर पीजीआई में जांच के शुल्क की तुलना में दोगुने से ज्यादा शुल्क वसूल रहे हैं। पीजीआई में जो एमआरआई चार हजार में हो रही है, वह निजी सेंटर में आठ से नौ हजार में कर रहे हैं। पीजीआई निदेशक डॉ. आरके धीमन ने बताया कि क्षमता और संसाधन के अनुसार रोजाना जांचें हो रही हैं। गंभीर मरीजों की प्राथमिकता के आधार पर जांच की जाती हैं। दो एमआरआई की नई मशीन, सीटी और अल्ट्रा साउंड की सुविधा बढ़ाई जाएगी।
वहीं, किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय की कार्य परिषद ने ट्रॉमा सेंटर के पांच सौ बेड वाले नए भवन पर अपनी मुहर लगा दी है। इसके साथ ही सात मंजिला भवन की विस्तृत प्रोजेक्ट रिपोर्ट तैयार करने का काम भी शुरू हो जाएगा। केजीएमयू के ट्रॉमा सेंटर में मरीजों की बढ़ती संख्या को देखते हुए ट्रॉमा सेंटर फेज-2 के नए भवन का प्रस्ताव तैयार किया गया है। इसमें सड़क दुर्घटना वाले मरीजों को भर्ती किया जाएगा।
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