लखनऊ। देश के विकास में बेहतर आधारभूत संरचना का अहम योगदान है। बेहतर सड़कों के होने का मतलब है कि कोई भी राज्य तरक्की की नई नई कहानियों का सृजन कर सकता है। हम बात करेंगे एक ऐसे एक्सप्रेस वे की जिसके जरिए यूपी के करीब 9 पिछले जिलों की तकदीर बदलने का दावा किया जा रहा है। लेकिन जानकार उसे सियासी तौर पर भी अहम बता रहे हैं, यहां बात हो रही है पूर्वांचल एक्सप्रेस वे की। इस एक्सप्रेव की कार्य प्रगति को लेकर सीएम योगी आदित्यनाथ खुद नजर रख रहे हैं। हाल ही में उन्होंने आजमगढ़ और गाजीपुर में बन रहे हिस्सों का जायजा लिया था और 31 मार्च तक सभी कार्य पूरे करने के निर्देश भी दिए थे।
जब इस एक्सप्रेस वे का बदला नाम
यह एक्सप्रेस वे दो खास राजनीतिक चेहरों का ड्रीम प्रोजेक्ट रहा। एक शख्स जो अब सरकार में नहीं है यानी की बात अखिलेश यादव की हो रही है। यूपी में जब समाजवादी पार्टी की सरकार थी तो लखनऊ से गाजीपुर तक बनने वाले एक्सप्रेस वे का नाम समाजवादी एक्सप्रेस वे हो गया। लेकिन 2017 में जब बीजेपी प्रचंड बहुमत के साथ सरकार में आई तो इसके नाम को बदल कर पूर्वांचल एक्सप्रेस वे कर दिया गया।
पूर्वांचल एक्सप्रेस वे की खासियत
यह सड़क सियासी भी है
इस एक्सप्रेस वे को लेकर जमकर सियासत भी होती रहती है। जानकार कहते हैं कि यह बात सच है कि इस प्रोजेक्ट के बारे में अखिलेश यादव ने सोचा था। लेकिन हकीकत यह भी है कि इसे जमीन पर उतारने का काम योगी आदित्यनाथ की सरकार कर रही है। जिस तरह से कोरोना महामारी के बीच रोड बनाने का काम निर्बाध गति से चलता रहा उसकी तारीफ भी हो रही है।
नवंवर 2018 में इस प्रोजेक्ट पर काम शुरू हुआ था और तीन साल में पूरा करने का लक्ष्य निर्धारित हुआ। लेकिन अब इसे अप्रैल के महीने में जनता को समर्पित किया जाएगा। इससे प्रदेश के लोगों में संदेश गया कि यह सरकार विकास की योजनाओं के साथ भेदभाव नहीं कर रही है। दरअसल समाजवादी पार्टी का यह आरोप लगता रहा है कि अब उनकी सरकार सूबे में नहीं है और उसका असर इस एक्स्प्रेस वे पर जरूर पड़ेगा।
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