पौलोमी पाविनी शुक्ला को फोर्ब्स ने किया सम्मानित, 'इंडिया 30 अंडर 30 2021' में दी जगह  

Forbes's India 30 under 30 2021 list : सुप्रीम कोर्ट की वकील पौलोमी अनाथ बच्चों की शिक्षा के लिए पिछले एक दशक से काम कर रही हैं। वह अनाथ बच्चों को शिक्षा उपलब्ध करा रही हैं।

 Poulomi Shukla features in Forbes' 'India 30 under 30, 2021 list' for her work in educating orphans
पौलोमी पाविनी शुक्ला को फोर्ब्स ने किया सम्मानित। 

लखनऊ : दुनिया की प्रतिष्ठित पत्रिका फोर्ब्स ने लखनऊ की लेखक, वकील और सामाजिक कार्यकर्ता पौलोमी पाविनी शुक्ला को 'इंडिया 30 अंडर 30 2021' की सूची में शामिल किया है। पत्रिका ने पौलोमी को यह सम्मान देश में अनाथ बच्चों की शिक्षा में उनके योगदान के लिए दिया है। यह उपलब्धि मिलने पर पौलोमी ने कहा कि वह काफी खुश हैं कि फोर्ब्स से उन्हें यह सम्मान मिला है। यह सम्मान मुझे और ज्यादा कठिन परिश्रम करने के लिए प्रेरित करेगा। उन्होंने कहा, 'भुज के भूकंप से अनाथ हुए बच्चों से मिलने के बाद मैं इस दिशा में काम करने के लिए प्रेरित हुई। मैं अपने जरिए इन अनाथ बच्चों की दशा दुनिया के सामने लाना चाहती हूं क्योंकि इनकी कोई पहचान नहीं है।'

'अडॉप्ट एन ऑरफेंज' कार्यक्रम की शुरुआत की है
सुप्रीम कोर्ट की वकील पौलोमी अनाथ बच्चों की शिक्षा के लिए पिछले एक दशक से काम कर रही हैं। वह अनाथ बच्चों की कोचिंग एवं ट्यूशन में मदद पहुंचाने के लिए उत्तर प्रदेश के शिक्षा विभाग का सहयोग ले रही हैं। आईएएस ऑफिसर आराधना शुक्ला एवं प्रदीप शुक्ला (रिटायर्ड) की बेटी पौलोमी ने शहर में 'अडॉप्ट एन ऑरफेंज' कार्यक्रम की शुरुआत की है। इस अभियान में उन्हें स्थानीय कारोबारियों की मदद मिली है। ये कारोबारी अनाथ एवं जरूरतमंत बच्चों के लिए स्टेशनरी, किताबें एवं ट्यूशन फीस उपलब्ध कराते हैं। 

अनाथ बच्चों की शिक्षा के लिए काम कर रहीं
लॉकडाउन के दौरान पौलोमी ने अनाथ बच्चों की शिक्षा में अवरोध पैदा न हो इसके लिए उन्होंने स्मार्ट टीवी की व्यवस्था कराई। इन्होंने 'वीकेस्ट ऑन अर्थ-ऑर्फंस ऑफ इंडिया' नाम से किताब लिखी है। टीओआई से बात करते हुए पौलोमी ने कहा, 'साल 2001 में जब मैं नौ साल की थी तो मेरी मां मेरे जन्मदिन के मौके पर एक मुझे लेकर एक अनाथालय गईं। यहां मैंने बच्चों के दुख और पीड़ा को समझा। मुझे लगा कि ये बच्चे शिक्षा पाने के लिए कितने आतुर हैं। इसके बाद से मैं अनाथ बच्चों के लिए कुछ करना चाहती थी।' पौलोमी का कहना  है कि यह सम्मान पाकर वह काफी गौरवान्वित महसूस कर रही हैं।

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