नई दिल्ली: कोरोना काल चल रहा है ऐसे में जो भी इस बीमारी से पीड़ित है या इस स्थिति का भुक्तभोगी रहा है उसके लिए डॉक्टर भगवान से कम नहीं है लेकिन उस वक्त क्या हो जब डॉक्टरी के भेष में मरीजों की जिंदगी से खिलवाड़ हो और इलाज के नाम पर सिर्फ पैसा वसूली की जाए और एवज में उसे निम्न दर्जे का इलाज मिले..जी हां उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ से कुछ ऐसी ही तस्वीर सामने आई है जहां करीब 45 अस्पतालों पर जिला प्रशासन ने छापेमारी की।
बताया जा रहा है कि इस छापेमारी में राजधानी लखनऊ के अस्पतालों की वो वो तस्वीर सामने आई है जिसपर आप यकीन नहीं करेंगे, दरअसल लखनऊ के अलग-अलग इलाकों में बिना मानक के चल रहे 45 अस्पतालों पर जिला प्रशासन की छह टीमों ने संडे को औचक छापेमारी की तो जो स्थिति निकल कर आई वो खासी चौंकाने वाली थी।
बताते हैं तमाम अस्पतालों के पास लाइसेंस ही नहीं था और कहीं था भी तो उसकी मियाद निकल चुकी थी यानी कि वो एक्सापायरी था, वहीं तमाम जगहों पर प्रशिक्षित डॉक्टर ही नहीं मिले बल्कि उनकी जगह पर महज ग्रेजुएशन किए हुए यानी बीएससी पास लोग इलाज करते नजर आए।
एक अस्पाताल में छापेमारी में सामने आया कि मैटरनिटी एंड ट्रॉमा सेंटर में तीन आईसीयू के बेड तो मिले लेकिन एक्स-रे व इमरजेंसी की सुविधाएं नदारद थीं, डॉक्टर भी नहीं थे बल्कि स्टॉफ नर्स के पास नर्सिंग की डिग्री तक मौजूद नहीं थी, एक हॉस्पिटल में भी एएनएम का कोर्स कर रहे स्टूडेंट नर्सिंग व ओटी टेक्निशियन की ड्यूटी करते दिखे।
एक अस्पाताल में तो गजब ही तस्वीर सामने आई है वहां ऑपरेशन थियेटर (OT)के फ्रिज में बीयर की बोतलें मिलीं कायदे से यहां पर दवाइयां रखी होनी चाहिए थीं साथ ही अस्पताल के लाइसेंस की वैद्यता भी खत्म हो गई थी, इसी तरह से कई और हॉस्पिटल्स की लाइसेंस की वैद्यता भी खत्म पाई गई जिसे रिन्यू भी नहीं कराया गया था।
लखनऊ के जिलाधिकारी अभिषेक प्रकाश के निर्देश पर सीएमओ ने कुछ अस्पतालों के खिलाफ नोटिस जारी किया है उनका कहना है कि अगर अस्पताल मैनेजमेंट ने संतोषजनक जवाब नहीं दिया तो सीलिंग की कार्रवाई की जाएगी।
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