Lucknow Electricity News: उत्तर प्रदेश के तीन करोड़ बिजली उपभोक्ताओं को अब बिजली बिल से राहत मिलेगी। लखनऊ में राज्य सलाहकार समिति की बैठक में बिजली दर में वृद्धि न करने के संकेत मिले है। लखनऊ के नियामक आयोग कार्यालय में हुई बैठक के दौरान उपभोक्ता परिषद ने अपनी बातों को रखते हुए यह जानकारी दी गई है। बिजली बिल के स्लैब परिवर्तन से लेकर बिजली दर में वृद्धि के मामलों में जब उपभोक्ता परिषद ने अपनी दलील दी, तो बिजली कंपनियों के पास इसका कोई जवाब ही नहीं था।
बैठक के दौरान नियामक आयोग के चेयरमैन ने बताया कि प्रदेशभर में किसी भी बिजली कंपनी की अक्षमता का खामियाजा उत्तर प्रदेश के बिजली उपभोक्ताओं को नहीं झेलना होगा। वहीं उपभोक्ता परिषद अध्यक्ष ने पावर कॉर्पोरेशन की ओर से चलाए जा रहे भ्रष्टाचार के खिलाफ अभियान के लिए अध्यक्ष व उनकी पूरी टीम की सराहना की। बैठक में अधिकारियों ने कहा कि 25 वर्षों में ऐसा पहली बार हुआ है कि भ्रष्टाचार पर डर व्याप्त है।
उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश वर्मा ने कहा कि विद्युत अधिनियम-2003 के प्रावधान के अनुसार यह बैठक आवश्यक है। आयोग को पहले जनसुनवाई की प्रक्रिया पूरी करनी होती है, जिसको 21 से 24 जून की सुनवाई में कर लिया गया है। सुनवाई के दौरान कंपनियों ने स्लैब से लेकर दर बढ़ाने की मांग की थी, लेकिन उपभोक्ता परिषद ने इसको खारिज कर दिया था। वहीं यह दलील दी गई कि उपभोक्ताओं का ही करीब 22 हजार करोड़ रुपए बिजली कंपनियों के पास पड़ा है। ऐसे में बिजली दर में वृद्धि की जगह बिजली दर में कमी की जानी चाहिए।
नियामक आयोग की बैठक के बाद आयोग बिजली दरों का निर्धारण कर उसका आदेश जारी करेगा। वहीं बैठक में उपभोक्ताओं की ओर से 5 वर्षों तक प्रति वर्ष 7 प्रतिशत बिजली दर कम करने की मांग की जाएगी। इसका मूल कारण है कि उपभोक्ताओं का 22 हजार करोड़ रुपए बिजली कंपनियों के पास है तो बिजली सस्ती की जानी चाहिए। बिजली बिल उपभोक्ताओं से लागत से ज्यादा वसूल की गई है।
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