Lucknow Fraud Case: लखनऊ के बंटी और बबली अब जेल में कर रहे अपनी ठगी के बखान, पुलिस भी रह गई हैरान

Lucknow Fraud Case: लखनऊ में ठगी करने वाले एक शातिर गिरोह का पर्दाफाश हुआ है। वहीं आरोपियों ने एसटीएफ की पूछताछ में चौंकाने वाले खुलासे किए हैं।

Lucknow Fraud Case
पकड़े गए लखनऊ के बंटी और बबली, आप भी तो नहीं हुए शिकार  |  तस्वीर साभार: Representative Image
मुख्य बातें
  • लखनऊ में ठगी करने वाले गिरोह का पर्दाफाश
  • शातिर आरोपी बेरोजगारों को बनाते थे शिकार
  • आरोपियों के पास से छह मोबाइल और नगदी समेत ये सब हुआ बरामद

Lucknow Fraud Case: उत्तर प्रदेश के लखनऊ शहर में फिर एक गिरोह का खुलासा हुआ है। एसटीएफ की टीम ने गिरोह के तीन सदस्यों को गिरफ्तार किया है। वहीं एसटीएफ की टीम ने इन शातिरों के पास से कूटरचित नियुक्ति पत्र, सचिवालय पास सहित कई अहम दस्तावेज बरामद किए हैं। जांच में पता चला कि सचिवालय का निजी सचिव अपने कमरे में बेरोजगारों से इंटरव्यू लिया करता था। शातिर आरोपियों ने और भी कई चौंकाने वाले खुलासे किए हैं। वही गिरोह के अन्य आरोपियों की तलाश में ताबड़तोड़ दबिश दी जा रही है।

एसटीएफ की टीम द्वारा पकड़े गए आरोपियों में नटखेड़ा आलमबाग का रहने वाला सचिवालय के अधिकारी का निजी सचिव विजय कुमार मूल रूप से महाराजगंज के सिसवां का रहने वाला है। वहीं इस गिरोह में लखनऊ के सावित्रीपुरम का रहने वाला धर्म सिंह और दिल्ली के स्वरूप नगर का निवासी आकाश भी शामिल है। 

कानपुर पुलिस ने धर्म सिंह पर घोषित कर रखा 10 हजार का इनाम 

आरोपियों की गिरफ्तारी के बाद पता चला कि धर्म सिंह के खिलाफ कानपुर देहात पुलिस ने दस हजार रुपये का इनाम घोषित किया हुआ है। अब एसटीएफ की टीम ने इन आरोपियों के पास से छह मोबाइल फोन, कूटरचित सचिवालय का एक सहायक समीक्षा अधिकारी का पहचान पत्र, आठ नियुक्ति पत्र और बेरोजगारों के शैक्षणिक प्रमाण पत्र सहित आधार कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस एटीएम व पैन कार्ड बरामद किए हैं। इसके अलावा टीम ने आरोपी के पास से कुछ नगदी भी बरामद की है।

आखिर कैसे बना पहचान पत्र

एसटीएफ की जांच में यह खुलासा हुआ है कि आरोपी आकाश और धर्म सिंह का सहायक समीक्षा अधिकारी का पहचान पत्र कैसे बनवाया गया। एसटीएफ के अधिकारी के मुताबिक आरोपी विजय ने यह कबूल किया है कि उसने ही आकाश और धर्म सिंह का पहचान पत्र बनवाया था। पहचान पत्र पर सचिवालय के अधिकारी के हस्ताक्षर भी हैं। एसटीएफ की जांच में पता चला कि इंटरव्यू के बाद विजय धर्म सिंह से प्रिंट किया हुआ नियुक्ति पत्र मंगवाता था और उस पर हस्ताक्षर करके उसे रजिस्ट्री के माध्यम से संबंधित अभ्यार्थी के पते पर भेज देता था। शातिर आरोपी इसी तरीके से बेरोजगारों को ठगी का शिकार बनाते थे।

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