किसी भी देश के विकास के लिए मानव संसाधन का होना जरूरी होता है। लेकिन अगर मानव संसाधन जरूरत से अधिक हो तो अलग अलग तरह की मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। अगर बात देश के सबसे बड़े सूबे उत्तर प्रदेश की करें तो करीब 2 लाख 40 वर्गकिमी क्षेत्रफल में 24 करोड़ लोग रह रहे हैं। अगर जनसंख्या घनत्व की बात करें तो करीब एक वर्ग किलोमीटर में 800 से ज्यादा लोग रहते हैं। यूपी को सामान्य तौर पर पूर्वांचल, पश्चिम उत्तर प्रदेश, मध्यांचल और बुंदेलखंड के तौर पर देखा जाता है।
सबसे अधिक जनघनत्व पश्चिम उत्तर प्रदेश में
इन चारों हिस्सों में सबसे कम जनघनत्व बुंदेलखंड में है। यूपी सरकार ने जब से इस बात का ऐलान किया है कि दो से अधिक बच्चों वालों की सरकारी सुविधाओं में कटौती की जाएगी उसके बाद से विवाद बढ़ गया है। कुछ लोगों का कहना है कि इसके जरिए खास संप्रदाय को निशाने पर साधने की कोशिश की जा रही है लेकिन उनके दावों में दम को समझना भी जरूरी है।
कुछ आंकड़ों पर डालते हैं नजर
जनसंख्या विस्फोट का असर
अब सवाल यह उठ रहा है कि जनसंख्या गणित से क्या लेना देना है तो इस सवाल के जवाब में जानकार बताते हैं कि राज्य में बुनियादी सुविधाओं की कमी, अस्पतालों और स्कूलों की कमी, लोगों को रोजगार की कमी के लिए सिर्फ एक ही कारक जिम्मेदार है जिसे हम सब जनसंख्या विस्फोट कहते हैं। जानकार कहते हैं कि देश के सबसे बड़े सूबे के साथ दिक्कत ये है कि यहां आबादी सरप्लस में हमेशा रही है। राज्य सरकार द्वारा उठाये जाने वाले कदम को विपक्षी दल सियासत के चश्में से देख सकते हैं। लेकिन यह सच्चाई है कि जिस योजना को लाखों लोगों के हिसाब से बनाई जाती है उस योजना के लाभ लेने वालों की संख्या में लाखों लोग और जुड़ जाते हैं।
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