लखनऊ: संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (यूएनडीपी) ने आकांक्षात्मक जनपद सोनभद्र और चंदौली में हुए विकास कार्यों की सराहना की है। यूएनडीपी की ताजा रिपोर्ट में एक ओर जहां चंदौली में 'काला चावल' की खेती और फिर विदेशों में इसके निर्यात के मॉडल को सफल बताया है, वहीं आकांक्षात्मक जिला घोषित होने के बाद अलग-अलग पैमानों पर तेजी से विकास करने वाले ज़िलों में सोनभद्र के प्रदर्शन की खासी सराहना की गई है। रिपोर्ट में इन जिलों में हुए कार्यों को स्थानीय क्षेत्र विकास के लिए बेहद सफल मॉडल बताया गया है। साथ ही कहा है कि जिन देशों में क्षेत्रीय भेदभाव हैं यह मॉडल उनके लिए काफी उपयोगी है।
योगी सरकार की नीतियों का मिला लाभ
कृषि क्षेत्र में इनोवेशन को बढ़ावा देने की मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की नीति का चंदौली ने बेहतरीन लाभ लिया। 'काला चावल' की खेती आमतौर पर मीरजापुर जिले के नारायणपुर, जमालपुर, राजगढ़, पहाड़ी, लालगंज और हलिया जैसे ब्लॉकों में होती है, लेकिन चंदौली जिले ने वैश्विक बाजारों में काले चावल की जबरदस्त मांग और अच्छे मुनाफा मार्जिन को देखते हुए उसकी खेती के साथ प्रयोग करने का निर्णय लिया। यह परियोजना सफल रही और अब ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड को उच्च गुणवत्ता वाले काले चावल का निर्यात किया जाता है। बता दें कि काला चावल को डायबिटीज के मरीजों के लिए और कैंसर से बचाव में काफी उपयोगी पाया गया है।
सोनभद्र ने की थी शुरूआत
रिपोर्ट में आकांक्षात्मक जनपद कार्यक्रम के चैंपियंस ऑफ चेंज डैशबोर्ड पर प्रदान की गई डेल्टा रैंकिंग की भी सराहना की गई है। इसके द्वारा प्रेरित प्रतिस्पर्धी एवं गतिशील संस्कृति ने कमजोर प्रदर्शन करने वाले कई जिलों (बेसलाइन रैंकिंग के अनुसार) को पिछले तीन वर्षों के दौरान अपनी स्थिति में सुधार लाने के लिए सफलतापूर्वक आगे बढ़ाया है। रिपोर्ट में पाया गया है कि दो अन्य राज्यों के दो जिलों के साथ-साथ यूपी के चंदौली और सोनभद्र इस कार्यक्रम की शुरुआत के बाद सबसे अधिक प्रगति करने वाले जिलों में शामिल हैं।
यूएनडीपी ने पांच मुख्य विषयों- स्वास्थ्य एव पोषण, शिक्षा, कृषि एवं जल संसाधन, बुनियादी ढांचा, कौशल विकास एवं आर्थिक समावेषण के आधार पर इसका विश्लेषण किया है। साथ ही कहा कि इस कार्यक्रम ने इन जिलों के विकास के लिए उत्प्रेरक का काम किया है। 2018 में शुरू हुई थी योजना: आकांक्षात्मक जिला कार्यक्रम को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जनवरी 2018 में शुरू किया था। सरकार का मकसद था ‘सबका साथ सबका विकास’। जिसके तहत बेहद पिछड़े जिलों के लोगों का जीवन स्तर उठाने के साथ-साथ सबका समावेशी विकास सुनिश्चित करना था।
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