लखनऊ : उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने 1970 में पूर्वी पाकिस्तान से विस्थापित होकर कानपुर आए 63 हिंदू बंगाली परिवारों पुनर्वासन करने का फैसला लिया है। इसके लिए यूपी कैबिनेट में बुधवार को अहम निर्णय हुआ। योगी सरकार इन हिंदू बंगाली परिवारों को खेती एवं रहने के लिए जमीन का आवंटन करने जा रही है। विस्थापित होकर आए प्रत्येक हिंदू परिवार को सरकार खेती के लिए दो एकड़ जमीन और आवास के निर्माण के लिए 200 वर्ग मीटर भूमि का आवंटन करेगी।
इसके लिए उत्तर प्रदेश सरकार ने कानपुर देहात जिले में रसूलाबाद तहसील के भैंसाया गांव में 121.41 हेक्टेयर भूमि पर प्रस्तावित पुनर्वासन योजना को स्वीकृति प्रदान कर दी है। त्रिपुरा के मुख्यमंत्री बिपल्व देव योगी सरकार के इस कदम की सराहना की है। अपने एक ट्वीट में त्रिपुरा के सीएम ने कहा कि इस मानवीय पहल के लिए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी का धन्यवाद। 50 वर्षों से यूपी में कई मुख्यमंत्री रहे हैं लेकिन किसी ने भी वर्ष 1970 में पूर्वी पाकिस्तान से आए इन परिवारों पर विशेष ध्यान नहीं दिया। 63 परिवारों के पुनर्स्थापन का फैसला अभिनंदन योग्य है।
(1) कृषि कार्य हेतु प्रति परिवार भूमि आवंटन - 2.00 एकड़
(2) आवास हेतु भूमि प्रति परिवार - 200 वर्ग मीटर
(3) आवास निर्माण हेतु प्रति परिवार - 1.20 लाख रुपए
(मुख्यमंत्री आवास योजना के अन्तर्गत)
(4) भूमि सुधार व सिंचाई सुविधा - आवश्यतानुसार मनरेगा योजना के अन्तर्गत क्रियान्वित किया जाएगा।
यह 2.00 एकड़ एवं 200 वर्ग मीटर भूमि 1 रुपए की लीज रेण्ट पर प्रथम 30 वर्ष के लिए पट्टे पर दी जाएगी। यह पट्टा अधिकतम दो बार 30-30 वर्ष के नवीनीकरण के साथ अधिकतम 90 वर्ष तक के लिए रिन्यु किया जाएगा। ज्ञात हो कि पूर्वी पाकिस्तान से वर्ष 1970 में विस्थापित परिवारों के पुनर्वासन के लिए व्यवस्था की गई थी। यह पुनर्वासन 'द डिस्पलेस्ड पर्सन्स (क्लेम) एक्ट, 1950 एवं द डिस्पलेस्ड पर्सन (कंपेनसेशन एंड रिहैबिलिटेशन) एक्ट 1954 के प्राविधानों के अन्तर्गत भारत सरकार द्वारा 332 परिवारों को सहायता देकर उड़ीसा एवं बदायूं में आवासीय एवं कृषि भूमि उपलब्ध कराकर पुनर्वासित किया गया था।
अवशेष 65 हिन्दू बंगाली परिवारों को मदन सूत मिल, हस्तिनापुर, जनपद मेरठ में नौकरी देकर पुनर्वासित किया गया था। इस मिल के दिनांक 08 अगस्त, 1984 को बन्द हो जाने के कारण 65 परिवारों, जिसमें 02 परिवारों के सदस्यों की मृत्यु हो चुकी है। अतः 63 परिवार पुनर्वासन हेतु प्रतीक्षित हैं।
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