उत्तर प्रदेश में अपराध के मामले में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सख्ती का असर देखने को मिल रहा है। एक समय अपराध का गढ़ माना जाने वाला यूपी अब क्राइम के मामले में अन्य राज्यों से बेहतर तस्वीर बना रहा है। यह दावा हमारा नहीं, बल्कि नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के डाटा का है। केंद्रीय गृह मंत्रालय के अधीन आने वाला एनसीआरबी 1954 से लगातार अपराध के आंकड़े जारी कर रहा है।
नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो द्वारा जारी क्राइम डाटा 2018 (Crime Data) के मुताबिक यूपी में अपराध का ग्राफ गिरा है, जबकि अपराधियों पर कार्रवाई के मामले में यूपी पहले और दूसरे स्थान पर है। डाटा के अनुसार, देशभर में कुल 31,32,954 अपराध आईपीसी के तहत दर्ज हुए जिनमें से 3,42, 355 मामले यूपी में दर्ज हुए। यह कुल मामलों का 10.92 प्रतिशत है, जबकि जनसंख्या के आधार पर यूपी की आबादी देश की 16.85 प्रतिशत है।
अलग अलग तरह के क्राइम में यूपी के स्थान की बात करें तो डकैती में यूपी 31वें, लूट में 20वें, हत्या में 26वें, हत्या के प्रयास में 21 वें, नकबजनी में 32वें, बलात्कार में 24वें, शीलभंग में 14वें, पॉक्सो एक्ट के मामलों में 23वें, महिला अपराध में 15 वें नंबर पर है। देश के अन्य राज्यों और केंद्र शासित राज्यों से यूपी की तुलना करें तो अपराध का ग्राफ काफी बेहतर दिखाई देता है। शीलभंग और महिला अपराध के अलावा हर श्रेणी में यूपी टॉप 20 से बाहर है। वहीं डकैती में 31वां स्थान बताता है कि यूपी से आगे देश का लगभग हर राज्य है।
अपराध पर अंकुश लगाने और अपराधियों पर कार्रवाई में यूपी का स्थान टॉप पर है। कई मामलों में यूपी पहले नंबर और कई में दूसरे पर है। डाटा के अनुसार महिला अपराधों में कार्रवाई के मामले में यूपी पहले, साइबर अपराधों में कार्रवाई में पहले, शस्त्रों के जब्तीकरण में पहले, जाली मुद्रा जब्तीकरण में पहले, अपराधों की गिरफतारी में दूसरे, संपत्ति की बरामदगी में छठवें स्थान पर है। आंकड़े बताते हैं कि यूपी पुलिस अपराधियों के विरुद्ध की गई कार्रवाई एवं अपराधियों को सजा दिलाने के मामले में अन्य राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से बेहतर है।
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