नई दिल्ली: पानी के प्रबंधन के लिए तमिलनाडु का पप्पनकुझी गांव मिसाल बना है। घरों से निकलने वाले पानी का बेहतर प्रबंधन करने से पूरे गांव की तस्वीर ही बदल गई है। न तो अब घरों के आस-पास गंदा पानी फैलता है औ न तो सड़कों पर पानी फैलता है। इसकी वजह से गांव में प्रदूषण में कमी आने के अलावा उससे फैलने वाले रोगों में कमी आई है।
पहले कैसा था पप्पनकुझी गांव
जल शक्ति मंत्रालय से मिली जानकारी के अनुसार तमिलनाडु में कांचीपुरम जिले के श्रीपेरुंबुदूर ब्लॉक में पप्पनकुझी गांव स्थिति है। पप्पनकुझी ग्राम पंचायत में कुल 254 घरों में 1016 लोगों की आबादी रहती। इसमें लगभग 900 मीटर की 13 सड़कें हैं और दो ओवरहेड टैंक है, जिनमें से प्रत्येक में 30,000 लीटर पानी की क्षमता है। लेकिन प्रबंधन जल प्रबंधन नहीं होने से सड़कों और घरों के आस-पास पानी फैला रहता था। जिससे सड़कों पर चलना भी मुश्किल था और गंदगी भी रहती थी।
कैसे आया बदलाव
उचित जल प्रबंधन के अभाव में ग्रामीण घरों से निकलने वाले पानी को खुले नाले, गलियों, खाली भूमि या जल निकायों में छोड़ा जाता था। जिसकी वजह से प्रदूषण और पानी से होने वाले गंभीर रोग फैलते थे। जिला प्रशासन ने मनरेगा के तहत 254 में से 93 घरों में सोक पिट्स तैयार किए गए और 161 घरों को मनरेगा के तहत निर्मित जल निकासी प्रणाली से जोड़ा गया। सोक पिट पानी को धीरे-धीरे जमीन में सोखने में सहयोग देता है और भूजल स्तर को बनाये रखने में मदद करता है। इसके अलावा, डिस्पोजल पॉइंट पर भी सोक पिट्स का निर्माण किया गया था और फिल्टर किए गए पानी को पेरिया एरी और राजनथंगल एरी के जल निकायों में छोड़ दिया गया। और शोधित पानी का इस्तेमाल कृषि कार्यों के लिए किया जा सकता है। और इसका असर यह हुआ कि गांव की तस्वीर ही बदल गई।