मुंबई : दो जून की रोटी मुश्किल से पाने वाले बच्चों और परिवार को एक कपल ने अपनी अपने सेविंग के पैसों से 4 महीने तक भोजन कराया। ये मामला मुंबई के अम्बुजवाड़ी का है। यहां पर एक स्कूल के बच्चे अपनी फीस देने में नाकामयाब थे। जब इस बात का पता वहां की प्रिंसिपल को चला तो उसने उनकी तीन महीने की फीस माफ कर दी। उसने जब अपने स्कूल के कई बच्चों से बात की तो उसे पता चला कि ऐसे कई बच्चे हैं जिनके घर में मुश्किल से दो वक्त का खाना नसीब हो पाता है।
प्रिंसिपल मिजगा शेख ने अपने पिता फैयाज से बात की। दोनों ने मिलकर अपने पड़ोस के गरीब परिवारों में राशन दान करने का फैसला किया। ये दोनों पिछले करीब 4 महीने से ये नेक काम कर रहे हैं और इस काम के लिए इन दोनों ने अब तक अपनी 4 लाख की सेविंग खत्म कर दी है। करीब 1,500 लोगों को इन्होंने 4 महीने तक भरपेट दो वक्त का खाना खिलाया। इन्होंने बताया कि वे घर खरीदने के लिए 4 लाख रुपए सेव किए थे। जिन लोगों को इस कपल ने मदद की है वे उन्हें अब धन्यवाद करते नहीं थक रहे हैं।
उन्होंने बताया कि जब लॉकडाउन हुआ और ऑनलाइ क्लासेस शुरू होने लगी तो कई बच्चों के साथ काफी दिक्कतें आने लगीं। कई बच्चों के पास किताबें नहीं थी तो काफी बच्चों के पास स्मार्टफोन नहीं थे जिनसे वे ऑनलाइन क्लास कर पाते। ऐसे में प्रिंसपल ने अपनी टीचर के साथ मीटिंग कर उनकी सबसे पहले तीन महीने की फीस माफ करने का फैसला किया ताकि ये बड़ा बोझ उनके परिवार से हट सके।
38 वर्षीय मिजगा जो पांच कमरे के इस स्कूल की प्रिंसिपल हैं वह करीब 10 साल से इस स्कूल को चला रही हैं। उन्होंने अपने पति के साथ मिलकर सूखा राशन खरीद कर गरीब बच्चों के परिवार में बंटवाया। उन्होंने बताया कि पहले हमने राशन का स्टॉक अपने स्कूल में रखा था और एक एनजीओ की मदद से परिवारों में बंटवाते थे लेकिव बाद में जब काम बढ़ने लगा तो हमने अम्बूजावाड़ी में एक जगह पर दाल, चावल, चीनी, चाय और तेल जैसे राशन रखवाया और वहां से परिवारों में बांटना शुरू कर दिया।
वहां आस-पास के लोगों ने भी इस नेक काम में रुचि दिखाई और उन्होंने भी राशन अपनी तरफ से डोनेट करना शुरू कर दिया। इसके चलते वे अपने 13 साल और 10 साल के दो बच्चों को भी ज्यादा समय नहीं दे पाते थे। इतना ही नहीं उनके पति फैयाज जो कि एक परफ्यूम कंपनी में काम करते हैं उन्होंने इस मदद कार्य के लिए अपनी पीएफ की राशि भी निकाल ली।
एक महिला ने बताया कि वे उनकी काफी शुक्रगुजार हैं लॉकडाउन के ऐसे मुश्किल समय में जब उसका पति शराबी बन गया है और वह बाहर भी काम के लिए नहीं जा सकती है ऐसे में उन दोनों ने उन्हें महीने में 6 से 7 बार राशन दिया। इतना ही नहीं ये केवल राशन ही नहीं गरीब परिवारों को बीमार होने पर अस्पताल और डॉक्टर का खर्चा भी दे रहे हैं।