नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 5 फरवरी को हैदराबाद में संत और समाज सुधारक रामानुजाचार्य की प्रतिमा का अनावरण करेंगे। उनकी 216 फीट ऊंची प्रतिमा को 'स्टैच्यू ऑफ इक्वैलिटी' नाम दिया गया है। 45 एकड़ में बनी यह प्रतिमा हैदराबाद के शमशाबाद में स्थित है। जिसका प्रधानमंत्री अनावरण करेंगे।
1000 करोड़ रुपये खर्च
रामानुजाचार्य की 1,000वीं जयंती उत्सव के मौके पर 2 फरवरी से समारोह का आयोजन किया जाएगा। जिसे रामानुज सहस्राब्दी समारोहम नाम दिया गया है। इस मौके पर रामानुजाचार्य की दो मूर्ति का अनावरण किया जाएगा। 216 फीट ऊंची मूर्ति सोना, चांदी, तांबा,पीतल और जस्ते की बनी हुई है। जबकि दूसरी मूर्ति मंदिर के गर्भगृह में स्थापित की जाएगी। जो रामानुजाचार्य के 120 सालों की यात्रा की याद में 120 किलो सोने से निर्मित की गई है।
कौन हैं रामानुजाचार्य
वैष्णव संत रामानुजाचार्य का जन्म साल 1017 में तमिलनाड़ु के श्रीपेरंबदूर में हुआ था। उनका जन्म तमिल ब्राह्मण परिवार में हुआ था। उन्होंने गुरू यमुनाचार्य से कांची में दीक्षा ली थी। श्रीरंगम के यतिराज नाम के संन्यासी से उन्होंने संन्यास ग्रहण किया था। इसके बाद उन्होंने भारत भर में घूमकर वेदांत और वैष्णव धर्म का प्रचार प्रसार किया। इस दौरान उन्होंने श्रीभाष्यम् और वेदांत संग्रह जैसे ग्रंथों की रचना की। साल 1137 में श्रीरंगम में रामानुजाचार्य ने 120 साल की आयु में अपना देह त्याग दिया था।
विशिष्ट द्वैत वेदांत का प्रतिपादन
रामानुजाचार्य ने वेदांत दर्शन पर अपने विशिष्ट द्वैत वेदांत का प्रतिपादन किया था। उनकी शिष्य परंपरा में गुरू रामानंद हुए, जिनके शिष्य कबीर थे। रामानुजाचार्य स्वामी ने सबसे पहले समानता का संदेश दिया था। और उसके लिए पूरे देश में उन्होंने भ्रमण किया।