नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने बिजली संकट को कम करने की नई पहल की है। ऊर्जा मंत्रालय ने नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन करने वाली कंपनियों को अब डिस्कॉम और उद्योगों को बिजली बेचने की अनुमति दे दी है। इसके तहत निःशुल्क इंटर-स्टेट ट्रांसमिशन सिस्टटम ( आईएसटीएस) का लाभ उपलब्ध होगा और 15 दिनों के भीतर ओपन एक्सेस प्रदान किया जाएगा।
केंद्रीय ऊर्जा और नवीन व नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री श्री आर के सिंह ने ग्रीन डे अहेड मार्केट (जीडीएएम) की शुरूआत की है। इस मौके पर उन्होंने कहा कि हम अक्षय ऊर्जा के द्वार खोल रहे हैं। अब कोई भी इच्छुक पार्टी अक्षय ऊर्जा क्षमता स्थापित कर सकती है। और उसे डिस्कॉम और उद्योगों को बेच सकते हैं। हम जीवाश्म ईंधन के आयात पर अपनी निर्भरता को कम करना चाहते हैं। सरकार ग्रीन हाइड्रोजन मिशन करने पर विचार कर रही है। सरकार की 2030 तक 450 गीगावॉट ग्रीन एनर्जी क्षमता विकसित करने की योजना है।
कोयला संकट बन गई थी समस्या
पिछले कुछ समय से देश में कोयले का संकट खड़ा हो गया है। हालात यह हो गए थे कि कई प्लांट में एक से दो दिन का भी कोयले का स्टॉक नहीं रह गया था। इसकी वजह से डिस्कॉम के एनर्जी एक्सचेंज से 20 रुपये प्रति यूनिट की दर से बिजली खरीदनी पड़ी। ऐसे में सरकार की कोशिश है कि नवीकरणीय ऊर्जा का उत्पादन बढ़ाकर देश में कोयले से निर्भरता कमी लाई जाय।
ग्रीन डे-फॉरवर्ड मार्केट पारंपरिक एक्सचेंज डे-फॉरवर्ड मार्केट के साथ मिलकर काम करेगा । एक्सचेंज डिस्कॉम और इंडस्ट्री को अलग-अलग बिडिंग विंडो के माध्यम से पारंपरिक और नवीकरणीय ऊर्जा दोनों के लिए एक साथ बोलियां जमा करने की पेशकश करेंगे। इसके तहत नवीकरणीय ऊर्जा बोलियों को पहले नवीकरणीय ऊर्जा की आवश्यक स्थिति के अनुसार मंजूरी दी जाएगी, उसके बाद पारंपरिक तरीके की स्थिति के अनुसार मंजूरी मिलेगी।