नई दिल्ली: अयोध्या में भगवान राम का मंदिर दिसंबर 2023 तक तैयार हो जाएगा और श्रद्धालु गर्भगृह में विराजमान राम लला के दर्शन कर सकेंगे। अब तक नींव के पहले हिस्से को तैयार करने का काम पूरा हो चुका है और दूसरे हिस्से के निर्माण का कार्य चल रहा है। उम्मीद है कि दूसरे हिस्से का कार्य भी जनवरी 2022 तक पूरा कर लिया जाएगा।
1000 साल तक रहेगा सुरक्षित
अभी तक के कार्य के बारे में जानकारी देते हुए राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महामंत्री ने चम्पत राय ने बताया कि रामलला का मंदिर प्राचीन भारतीय शिल्प पद्धति के अनुसार बनाया जा रहा है । जो कि भूकंप रोधी होगा और एक हजार वर्षों तक सुरक्षित रहेगा।
इसके लिए रोलर कॉम्पेक्सन कॉन्क्रीट पद्धति का प्रयोग किया गया है , जिसमे एक फिट की कॉन्क्रीट को रोलर से 10 इंच में तब्दील किया गया है , गर्भगृह में 56 लेयर डाली गई है , जिसमे एक लाख 32 हजार क्यूबिक मीटर कॉन्क्रीटिंग जमीन के अन्दर की गई है , जिसमे लोहे का प्रयोग नहीं किया गया है , इतनी लंबी चौड़ी नीव में भूकंप का असर नही पड़ेगा ।
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अब प्लिंथ का काम होगा शुरू
ट्रस्टी डॉ अनिल मिश्र का कहना है कि निर्माण कंपनी लार्सन एंड टुब्रो और टाटा कंसल्टेंसी तकनीकी रूप से निर्माण कार्य मे जुड़ी हुई है, नींव का निर्माण पूरा हो चुका है , आने वाले दिनों में प्लिंथ का निर्माण शुरू होगा , जो बैंगलोर से आने वाले ग्रेनाइट पत्थरों से बनेगा , प्लिंथ निर्माण में 17 हजार पत्थरों का प्रयोग होगा और प्लिंथ की ऊंचाई 20 फिट होगी ।
मुख्य मंदिर 2.7 एकड़ के कुल क्षेत्रफल में बनाया जा रहा है। जबकि कुल निर्मित क्षेत्र 57,400 वर्ग फुट है। मंदिर की लंबाई 360 फीट और चौड़ाई 235 फीट होगी। शिखर सहित मंदिर की कुल ऊंचाई 161 फीट होगी और इसकी तीन मंजिलें होंगी, प्रत्येक की ऊंचाई 20 फीट होगी।
इसके पहले श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने एक 3डी एनिमेशन फिल्म भी जारी की है। जिसमें अयोध्या में राम मंदिर के चल रहे निर्माण कार्य की प्रक्रिया को दिखाया गया है।
2025 तक होगा पूरा
ट्रस्ट के अनुसार, श्रद्धालु दिसंबर 2023 से मंदिर में पूजा करने के लिए आ सकेंगे। इस दौरान मंदिर का निर्माण कार्य जारी रहेगा और मंदिर का निर्माण कार्य पूरी तरह से 2025 तक पूरा हो जाएगा। राम मंदिर का शिलान्यास 5 अगस्त 2020 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा किया गया था। इसके लिए 9 नवंबर 2019 को सुप्रीम कोर्ट ने अपने ऐतिहासिक फैसले में , 5 न्यायाधीशों की बेंच ने राम लला के पक्ष में फैसला सुनाते हुए, पूरे विवादित क्षेत्र को सरकार द्वारा बनाए जाने वाले ट्रस्ट को सौंपने का आदेश दिया था।
(एजेंसी इनपुट के साथ)
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