नई दिल्ली: बीते सोमवार को केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कहा है कि वह वह अगले दो-तीन दिनों में एक आदेश जारी करेंगे, जिसमें कार निर्माताओं के लिए वाहनों में फ्लेक्स-फ्यूल इंजन लगाना अनिवार्य कर दिया जाएगा। उन्होंने एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा है कि भारत हर साल 8 लाख करोड़ रुपये के पेट्रोलियम उत्पादों को आयात करता है। अगर ऐसा ही रहा तो अगले 5 सालों में इसका आयात बिल बढ़कर 25 लाख करोड़ रुपये हो जाएगा।
कैसे होंगे वाहन
नितिन गडकरी के अनुसार कार निर्माताओं को फ्लेक्स-फ्यूल इंजन वाले ऐसे वाहन बनाने का निर्देश दिया जाएगा जो एक से अधिक ईंधन पर चल सकते हैं। इससे देश की जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता भी खत्म होगी।
क्या है फ्लेक्स-फ्यूल इंजन?
इस तरह के इंजन पेट्रोल (गैसोलीन) और इथेनॉल या मिथेनॉल के मिश्रण पर काम करते हैं। इथेनॉल को मक्के या गन्ने की फसलों से निकाला जाता है, जिससे यह आसानी से और कम कीमत पर मिल जाता है। साथ ही फ्लेक्स-फ्यूल को एक फ्यूल टैंक में स्टोर किया जाता है।
अमेरिकी एनर्जी डिपॉर्टमेंट के अनुसार फ्लेक्स फ्यूल कार में इलेक्ट्रॉनिक कंट्रोल मॉड्यूल की बेहद अहम भूमिका होती है। जो मिक्स ईंधन को कंट्रोल करता है। इस तरह के इंजन गैसोलीन और इथेनॉल के 83 फीसदी तक के मिश्रण पर चलने की क्षमता रखता है।
ये कंपनियां हैं तैयार
नितिन गडकरी ने कंपनियों के तैयारियों पर कहा है कि टोयोटा मोटर कॉर्पोरेशन, सुजुकी और हुंडई मोटर इंडिया के वरिष्ठ अधिकारियों ने उन्हें भरोसा दिलाया है कि वे अपने वाहनों को फ्लेक्स इंजन के साथ पेश करेंगे।
पेट्रोल डीजल से 30-35 फीसदी होगा सस्ता
फ्लेक्स-फ्यूल इंजन से चलने वाली कार पेट्रोल-डीज़ल इंजन से चलने वाली कार के मुकाबले ज्यादा सस्ती होती है। वहीं इसकी लागत भी कम आती है। इसके अलावा यह पर्यावरण के अनुकूल भी होती है। और मौजूदा कीमत के आधार पर यह पेट्रोल-डीजल के मुकाबले 30-35 फीसदी तक सस्ता हो सकता है।