नई दिल्ली। स्वतंत्रता दिवस की 75 वीं वर्ष गांठ पर प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने कुपोषण को दूर करने के लिए, सरकार की सभी प्रमुख राशन वितरण योजनाओं के तहत फोर्टिफाइड चावल देने का ऐलान किया है। उन्होंने कहा "कुपोषण और पोषक तत्वों की कमी से हमारे बच्चों की ग्रोथ प्रभावित हो रही है। इसे देखते हुए सरकार ने फैसला किया है सभी गरीबों को फोर्टिफाइड चावल दिया जाएगा।"
क्या होता है फोर्टिफाइड चावल
भोजन के जरिए हमारे शरीर में पोषक तत्व (विटामिन और मिनरल) पहुंचते हैं। लेकिन आज के दौर में बदलते खाने के तौर-तरीकों और गरीब वर्ग के असंतुलित भोजन की वजह से इनकी कमी बढ़ गई है। इसे दूर करने के लिए कंपनियों द्वारा बनाए विटामिन और मिनरल को खाद्य पदार्थों में प्रोसेसिंग के जरिए मिलाया जाता है। यानी अलग से विटामिन और मिनरल आपके खाने में पहुंचाए जाते हैं। इस पूरी प्रक्रिया को ही फूड फोर्टिफिकेशन कहा जाता है। अब प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने चावल में फोर्टिफिकेशन की बात कही है। यानी चावल में अलग से विटामिन और मिनरल मिलाए जाएंगे। जो कि शरीर के अंदर पोषण तत्वों की कमी को दूर करेगा।
भारत को क्यों जरूरत है
देश के नागरिकों में पोषक तत्वों की क्या स्थिति है, इस पर अभी कोई सटीक आकंड़ा उपलब्ध नहीं है। इसके लिए सरकार विभिन्न एजेंसियों के सर्वेक्षण के आधार पर यह माना जाता है कि देश के करीब 60-70 फीसदी लोगों में पोषक तत्वों की कमी है। राष्ट्रीय पोषण संस्थान की रिपोर्ट के अनुसार देश के 40 फीसदी घरों में बच्चों को मिलने वाला भोजन असंतुलित है। पांच साल से कम उम्र के 55 फीसदी बच्चों का वजन सामान्य से कम है। इसी तरह पांच साल की उम्र तक के बच्चों में विटामिन ए की मात्रा सामान्य से कम है। 52 फीसदी बच्चों की लंबाई सामान्य से कम है। वहीं, 35 फीसदी पुरुष और महिलाएं ऊर्जा की कमी का सामना कर रही हैं। इसके अलावा लोगों को भोजन में प्रोटीन, आयरन, कैल्शियम, थियामीन की मात्रा लगातार घटती जा रही है। नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे-4 के अनुसार भारत में पांच साल से कम उम्र के 38.4 फीसदी बच्चों की लंबाई सामान्य से कम है। महिलाओं और लड़कियों में से 53.1 फीसदी लोग एनीमिया की शिकार थीं। एनीमिया से पीड़ित महिलाएं जब बच्चे को जन्म देती हैं तो उनमें भी एनीमिया होने की आशंका रहती है।
किसे मिलेगा फोर्टिफाइड चावल
प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के अनुसार सरकार गरीबों को फोर्टिफाइड चावल पहुंचाया जाएगा। यानी करीब 70-80 करोड़ आबादी को विभिन्न योजनों के जरिए फोर्टिफाइड चावल दिया जाएगा। इसके तहत आईसीडीएस स्कीम, दोपहर मध्यान्ह योजना सहित दूसरी योजनाओं के जरिए चावल पहुंचाया जाएगा। जिसके तहत 2024 तक सभी योजनाओं को लागू कर दिया जाएगा। देश में अभी 15 राज्यों में फोर्टिफाइड चावल पायलट स्कीम के तहत दिया जा रहा है। ये पायलट स्कीम गुजरात, छत्तीसगढ़, तमिलनाडु, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश आदि राज्यों में चलाई जा रही है।
क्या कहते हैं विशेषज्ञ
टाटा ट्रस्ट के वरिष्ठ सलाहकार डॉ राजन शंकर टाइम्स नाउ नवभारत डिजिटल से कहते हैं "यह बहुत अच्छा कदम है। देश में एक बड़ी आबादी कुपोषण का शिकार है। इसके तहत महिलाओं और बच्चों में खास तौर से आयरन की कमी है। फोर्टिफाइड चावल के जरिए आयरन और विटामिन-बी की मात्रा दी जा सकती है। हमारे सामने आयोडाइज्ड नमक का फसल उदाहरण है। सरकार को उस कार्यक्रम से सीख लेते हुए फोर्टिफाइड चावल के कार्यक्रम को चलाना चाहिए। इसकी सफलता में सबसे अहम भूमिका सरकार की होने वाली है, क्योंकि कार्यक्रम का सफल क्रियान्वन बेहद जरूरी है। इसके लिए एक केंद्रीय निगरानी तंत्र बनाना होगा, जो कार्यक्रम को जमीनी स्तर तक सफलतापूर्वक पहुंचा सके। इसमें केंद्र और राज्यों के समन्वय की बेहद भूमिका रहेगी।जहां तक विटामिन कहां से मिलाया जाएगा, तो इसके लिए भारत में कई कंपनियां है ,साथ ही आयात किया जा सकेगा।"
आयोडीन नमक रहा है सफल उदाहरण
देश में आयोडीन कार्यक्रम को सफलता पूर्वक चलाने वाले और पद्म श्री और भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स), दिल्ली के सेंटर फॉर कम्युनिकेशन मेडिसिन के पूर्व अध्यक्ष प्रोफेसर चंद्रकांत एस. पांडव ने बताया "प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी का आज का ऐलान ऐताहिसक है, इसके लिए मैं उन्हें धन्यवाद देता हूं। पोषक तत्व लोगों मिले यह हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए। जहां तक फोर्टिफाइड फूड की बात है तो नमक में आयोडीन को शामिल कर ग्वाटर रोग से देश को मुक्त किया गया है। आयोडीन कार्यक्रम पूरी दुनिया में सबसे सफल उदाहरण है। राष्ट्रीय ग्वाटर नियंत्रण कार्यक्रम को जब 1962 में शुरू किया गया था। परिणाम यह है कि देश ग्वाटर रोग से मुक्त हो चुका है। भारतीय ऑयोडीन सर्वेक्षण 2018-19 के अनुसार देश में आयोडीनयुक्त नमक का कवरेज 92.4 फीसदी तक पहुंच गया है। ऐसे में फोर्टिफाइड चावल के जरिए हम एनीमिया की लड़ाई जीत सकता है। क्योंकि अगर ऐसा होता है तो स्वस्थ भारत का सपना साकार हो सकेगा।