प्रधान मंत्री ने आजादी की 75 वीं वर्षगांठ पर राष्ट्रीय हाइड्रोजन मिशन का ऐलान कर दिया है। इसका मकसद भारत को ऊर्जा के क्षेत्र में आत्म निर्भर बनाना है। यानी भारत में आने वाले समय में कारें, बसें, दो पहिया वाहन को हाइड्रोजन ईंधन के जरिए चलाना है। जो कि पूरी तरह से ग्रीन ईंधन होगा। यानी जब आप अपनी कार, बाइक चलाएंगे तो धुंए की जगह पानी वाष्प के रूप में निकलेगा। सरकार इसके लिए देश में ऐसा इंफ्रास्ट्रक्चर खड़ा करना चाहती है, जिसे प्रदूषण को कम कर स्वच्छ भारत बनाया जा सकें।
प्रधान मंत्री ने क्या कहा
लाल किले से देश को संबोधित करते हुए प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने नेशनल हाइड्रोजन मिशन का ऐलान करते हुए कहा "भारत ग्रीन हाइड्रोजन आधारित ईंधन में एक वैश्विक केंद्र के तौर पर स्थापित होगा। भारत गैस आधारित अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देकर एथनॉल मिश्रित पेट्रोल को अपनाकर और बिजली से चलने वाले वाहनों का विस्तार कर ऊर्जा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बन सकता है। हमें प्रण लेना होगा कि जब देश आजादी की 100 वर्षगांठ मनाए तो हम ऊर्जा क्षेत्र में भी आत्मनिर्भर हो"
क्या कहते हैं एक्सपर्ट
ऊर्जा क्षेत्र के विशेषज्ञ नरेंद्र तनेजा ने टाइम्स नाउ नवभारत डिजिटल को बताया "अभी जो ईंधन हम इस्तेमाल करते हैं उसका बड़ा हिस्सा कच्चे तेल, कोयले, प्राकृतिक गैस से प्राप्त होता है। अब दुनिया में हाइड्रोजन को ईंधन के रुप में इस्तेमाल करने के लिए तकनीकी विकसित की जा रही है। जिसका उद्देश्य है कि हाइड्रोजन के लिए कारें, बसें, दोपहिया आदि सभी तरह के वाहन चलाए जाएं। हाइड्रोजन ईंधन का सबसे नया और ताकतवर स्रोत माना जा रहा है। प्रधान मंत्री ने जिस हाइड्रोजन मिशन की बात की है उसका असली काम होगा इस क्षेत्र में रिसर्च को बढ़ावा मिले। इसके अलावा जरूरी उपकरणों का भारत में निर्माण हो और वह आसानी से उपलब्ध भी हो सके। भारत में इंडियन ऑयल ने इस दिशा में काम करना शुरू कर दिया है। उनका हरियाणा के फरीदाबाद में एक पायलट प्रोजेक्ट चल रहा है। इसके अलावा दिल्ली में हाइड्रोजन से बसें चलाने का प्रयोग भी शुरू हो चुका है। अब प्रधान मंत्री एक राष्ट्रीय नीति लेकर आएंगे। जिससे हमें ऊर्जा स्वतंत्रता मिलेगी।"
अभी क्या है स्थिति
तनेजा कहते हैं "अभी हम अपनी जरूरत का 86 फीसदी तेल आयात करते हैं, 54 फीसदी प्राकृतिक गैस आयात करते हैं। इसके अलावा सौर ऊर्जा के यंत्र भी आयात करते हैं। ऐसे में हमारी निर्भरता आयात पर बहुत ज्यादा है।" इंडस्ट्री से मिली जानकारी के अनुसार देश में अभी हम सालाना करीब 12 लाख करोड़ रुपये का आयात केवल तेल के लिए करते हैं।
पेट्रोल-डीजल से होगा काफी सस्ता
हाइड्रोजन ईंधन की खासियत यह होगी कि यह पेट्रोल-डीजल से काफी सस्ता होगा। जैसे अभी रिटेल आउटलेट होते हैं, वैसे ही हाइड्रोजन ईंधन के रिटेल आउटलेट खुल जाएंगे। ठीक उसी तरह वह भी भरी जाएगी, जैसे अभी सीएनजी भरी जाती है। सस्ती यह इसलिए पड़ेगी कि यह पानी ही तो है। ऐसे में इसकी लागत काफी कम हो जाएगी। हालांकि अभी उसको लेकर कुछ चुनौतियां है। उस दिशा में पूरी दुनिया में काम हो रहा है। और आने वाले 10 साल में यह हकीकत हो सकती है। स्वीडन, नार्वे, डेनमार्क में इसका इस्तेमाल शुरू हो चुका है।
इस तरह बनती है ग्रीन हाइड्रोजन
इसका उत्पादन सौर या पवन ऊर्जा से वाटर इलेक्ट्रोलिसिस प्रक्रिया के जरिए किया जाता है। रिफाइनरी में इसे कार्बन उत्सर्जन करने वाले ईंधन की जगह इस्तेमाल किया जा सकेगा।