Autism Disease: ऑटिज्म डे से पहले रांची प्रेस क्लब में एक कार्यक्रम आयोजित हुआ। इसमें होम्योपैथ विशेषज्ञ डॉ. राजीव कुमार और वाईबीएन यूनिवर्सिटी के रामजी यादव ने बीमारी को लेकर विस्तृत जानकारी दी। डॉ. राजीव ने बताया कि, ऑटिज्म बीमारी में एक से डेढ़ साल के बच्चों में होता है। इसमें बच्चे मानसिक और शारीरिक रूप से बीमार पड़ते हैं। अब झारखंड में भी यह बीमारी तेजी से बढ़ रही है। बताया कि, बीमारी का संक्रमण रोकने के लिए लोगों को जागरूक किया जा रहा है। इसके लिए तरह-तरह के कार्यक्रम हो रहे हैं।
डॉ. राजीव ने कहा कि, राज्य सरकार से रांची के अलग-अलग इलाकों में ऑटिज्म पार्क की व्यवस्था की मांग कर रहे हैं। वाईबीएन यूनिवर्सिटी के रामजी यादव ने बताया कि, इस तरह के कार्यक्रम का आयोजन होते रहना चाहिए। इस तरह के बच्चों के लिए मेरी भी यूनिवर्सिटी में विशेष व्यवस्था की जा रही है। यहां कहीं भी मेरी जरूरत पड़ेगी, हम वहां पर सहयोग करेंगे। द रांची प्रेस क्लब के अध्यक्ष संजय मिश्र ने कहा कि, ऑटिज्म बीमारी में न सिर्फ बच्चे बल्कि मां-बाप भी परेशान रहते हैं।
बीमारी से बच्चे के साथ-साथ परिवार को भी बचाना सामाजिक दायित्व है। हम सब मिलकर इस पर पहल करें। हमारे बीच ऐसे पत्रकार हैं, जिनके बच्चे इस बीमारी से पीड़ित हैं। वे भी अपने बच्चे को लेकर आएं और डॉ. राजीव के भी संपर्क में जो इस बीमारी से जूझ रहे हैं, वे भी इस कैंप में आएंगे।
ऑटिज्म बीमारी के लक्षण
1. बोलना देरी से सीखना
2. किसी शब्द या वाक्य को दोहराना
3. सवालों के गलत जवाब देना
4. दूसरों की बात को दोहराना
5. पसंद की चीजों को प्वाइंट ना करना
6. गुड बाय कहना या हाथ हिलाने जैसी कोई प्रतिक्रिया ना देना
7. मजाक ना समझ पाना
व्यक्तियों में ऑटिज़्म अलग-अलग लक्षण पैदा करता है। इससे पीड़ित प्रत्येक व्यक्ति अलग-अलग व्यवहार करता है, इसलिए व्यक्ति के लक्षणों के आधार पर विशिष्ट केस स्टडी के बाद डॉक्टरों द्वारा कुछ दवाएं निर्धारित की जाती हैं। जैसे, ऐसी कई दवाएं नहीं हैं, जिन्हें आमतौर पर ऑटिज़्म के सभी मामलों के लिए तय किया जा सकता है। एफडीए द्वारा विशेष रूप से ऑटिज़्म के लिए अनुमोदित दवाओं की एकमात्र श्रेणी एंटीसाइकोटिक्स हैं। इसका मतलब है, रिसपेरीडोन और एरीपिप्राज़ोल। इसका उपयोग ऑटिज्म से पीड़ित लोगों में सायकोसिस, डिप्रेशन, अग्रेशन और इर्रिटेशन के लक्षणों के उपचार के लिए किया जाता है।