Ranchi Coal Auction: कैबिनेट कमेटी ने तय किया है कि सभी प्रकार के ऑक्शन को क्लब करके एक विंडो रखा जाना चाहिए, जिसमें पावर,नन पावर और कोयला के व्यापारी हिस्सा ले सकेंगे। कमेटी ने अनुशंसा की है कि ई-ऑक्शन के सफल उद्यमी रेल, रोड या किसी दूसरे माध्यम से कोयले की ढुलाई कर सकेंगे। मार्च तक पुरानी व्यवस्था के ही तहत ऑक्शन करने की अनुमति दी गई है। मार्च महीने के बाद कोल इंडिया को नया नियम बनाकर कोयला का ऑक्शन करना पड़ेगा। कैबिनेट कमेटी ऑन इकोनॉमिक अफेयर्स के फैसले से कोल इंडिया के मार्केटिंग निदेशक ने ईसीएल, बीसीसीएल, सीसीएल, डब्ल्यूसीएल, एनसीएल, एसईसीएल और एमसीएल को अवगत करा दिया है।
फिलहाल कोल इंडिया की अनुषंगी कंपनियां कोयले का अलग-अलग ऑक्शन करती हैं। पावर सेक्टर और फैक्ट्री लिंकेज के लिए अलग-अलग ऑक्शन होता है। इतना ही नहीं एक सामान्य ऑक्शन भी होता है। पावर लिंकेज उन लोगों के लिए है, जो पावर कंपनी चलाते हैं। फैक्ट्री का लिंकेज सरकार ने बंद कर रखा है। अलग-अलग सेक्टर के कंपनियों ने अलग-अलग मात्रा तय कर रखी है। सामान्य ऑक्शन में जहां के कायेले की नीलामी होतनी होती है, उसका बेस प्राइस तय होता है। इसमें आसपास के स्थानीय लोग भाग लेते हैं।
कब हुआ था शुरू
बता दें कोयले का ई-ऑक्शन कोल इंडिया के पूर्व चेयरमैन पार्थ भट्टाचार्य के कार्यकाल में शुरू किया गया था। भट्टाचार्य जब बीसीसीएल के सीएमडी से कोल इंडिया गए तो इसकी शुरुआत उन्होंने कराई थी। अलग-अलग सेक्टर के लिए अलग-अलग कोयला चिह्नित किया था। कुल उत्पादन का करीब 25 फीसदी कोयला बोली के आधार पर बेचा जाता है। इससे कंपनियों का राजस्व बढ़ गया था। कोल इंडिया की बहुत सी कंपनियां इस कारण बीआईएफआर से बाहर आ गईं हैं। सरकार कोयले की दलाली से भी मुक्ती चाहती है। इसी के कारण नीलामी का बड़ा कदम उठाया जा रहा है।