Ranchi E Sanjeevani OPD: रांची की स्वास्थ्य सेवा को बेहतर करने के लिए और उसके विस्तार के लिए कदम उठाए जा रहे हैं। रांची के 126 हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर में ई संजीवनी ओपीडी टेली मेडिसीन के जरिए दूरस्थ सेंटरों पर समुचित इलाज किया जाएगा एवं बेहतर दवा के बारे में जानकारी दी जा सकेगी। इस ओपीडी में राज्य के रिम्स, एम्स देवघर और सीआईपी रांची के डॉक्टरों के साथ-साथ देश के ख्यातिप्राप्त बड़े अस्पतालों के विशेषज्ञ चिकित्सकों की सेवा की उपलब्धता सुनिश्चित हो सकेगी।
ई संजीवनी माध्यम से सुपर स्पेशलिटी सेवा के लिए दिन के हिसाब से कई सुविधाएं उपलब्ध होंगी। जिसमें रिम्स, एम्स देवघर और CIP के डॉक्टर्स उपलब्ध रहेंगे। इस व्यवस्था के लिए डॉक्टरों का शेड्यूल भी तैयार किया गया है।
चर्मरोग के लिए सुपरस्पेशलिटी ई-संजीवनी ओपीडी के लिए रिम्स के डॉक्टर गुरुवार को उपलब्ध रहेंगे। सामान्य मेडिसीन विभाग से जुड़ी बीमारियों के लिए बुधवार को रिम्स और एम्स देवघर के विशेषज्ञ डॉक्टर्स उपलब्ध रहेंगे। न्यूरोलॉजी से जुड़ी बीमारियों के इलाज के लिए गुरुवार को रिम्स के न्यूरोलॉजी के विशेषज्ञ डॉक्टर उपलब्ध रहेंगे। स्त्री एवं प्रसूति रोगों में विशेषज्ञ इलाज के लिए सोमवार को रिम्स और मंगलवार को एम्स देवघर के डॉक्टर्स उपलब्ध रहेंगे। शिशु रोग से जुड़े सुपर स्पेशलिस्ट की सलाह के लिए रिम्स के डॉक्टर शुक्रवार और एम्स देवघर के डॉक्टर गुरुवार को उपलब्ध रहेंगे। CIP रांची के डॉक्टर्स महीने के दूसरे शनिवार को छोड़ सोमवार से शनिवार तक ओपीडी के लिए उपलब्ध रहेंगे।
ई संजीवनी टेली मेडिसीन से जुड़ी तकनीकी जानकारी से लैस करने के लिए रांची सिविल सर्जन कार्यालय में डॉक्टरों को विशेष प्रशिक्षण दिया गया। जिसमें कैसे हब स्पोक विधि से गांव के हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर में मौजूद सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी किसी मरीज की प्रारंभिक जांच के बाद नजदीकी सामुदायिक केंद्र, जिला अस्पताल, रिम्स, एम्स देवघर, सेंट्रल इंस्टिट्यूट ऑफ साइकेट्री के डॉक्टर से संपर्क करेगा और कैसे ऑडियो वीडियो के माध्यम से मरीज की सभी तरह की जांच के बाद उन्हें कौन सी दवा लेनी है, इसकी सलाह देंगे।
रांची के सिविल सर्जन डॉ विनोद कुमार ने बताया कि ई-संजीवनी ओपीडी से जहां दूरस्थ इलाकों में रहने वाले मरीजों को श्रेष्ठ इलाज मिल सकेगा। वहीं झोला छाप डॉक्टरों के द्वारा इलाज के नाम पर उनका आर्थिक दोहन भी नहीं हो सकेगा। विशेषज्ञ डॉक्टरों की सलाह के साथ-साथ अस्पतालों के ऊपर भी सामान्य बीमारियों के इलाज के लिए पहुंचने वाले मरीजों का दबाव कम होगा।