Ranchi Crime News: राजधानी रांची में स्पेशल पॉक्सो कोर्ट ने 6 वर्षीय मासूम के हत्या के दो अरोपियों को दोषी करार करते हुए अपने फैसले में अलग - अलग सजा सुनाई है। एक आरोपी शाहिद को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। वहीं दूसरी आरोपी शहजादी खातून को 10 साल के कारावास की सजा सुनाई है। कोर्ट ने शाहिद पर 20 हजार व शहजादी पर 10 हजार रूपए का अर्थदंड भी लगाया है। अर्थदंड अदा नहीं करने की स्थिति में शाहिद को दो व शहजादी को एक साल का अतिरिक्त कारावास भुगतना होगा।
विशेष पॉक्सो कोर्ट ने शाहिद अख्तर को कत्ल करने सहित लाश को छुपाने व षड्यंत्र रचने के आरोप का दोषी मानते हुए ये सजा सुनाई है। वहीं दूसरी आरोपी शहजादी को मासूम की लाश छुपाने सहित आपराधिक षडयंत्र में शामिल होने पर ये सजा सुनाई है। इस जघन्य हत्याकांड को लेकर विशेष अदालत ने दोनों को गत 12 जुलाई को दोषी करार दे दिया था। इसके बाद सजा के बिंदुओं पर सुनवाई दोनों आरोपियों की पेशी जेल से वीसी के जरिए करवाई गई। मामला रांची के डोरंडा इलाके के दर्जी मोहल्ले का है।
राजधानी रांची के डोरंडा इलाके के दर्जी मोहल्ले में मासूम नन्हीं परी की डेड बॉडी 25 अप्रैल 2013 को मो. नौशाद के निर्माणाधीन घर से मिली थी। इसके बाद मृतका के पिता ने अज्ञात के खिलाफ डोरंडा थाने में 25 अप्रैल को एफआईआर दर्ज करवाई थी। इस जघन्य हत्याकांड की जांच में कथित तौर पर लापरवाही सामने आने पर उच्च न्यायालय में रिट दायर की गई। इसके बाद उच्च न्यायालय ने तत्कालीन सिटी एसपी को जांच के आदेश दिए। जिसमें सिलसिलेवार जांच तत्कालीन सिटी एसपी डॉ जयाराय, अमन कुमार, अनूप बिरथरे, हरिलाल चौहान, सुजाता वीणापानी व आइपीएस सौरभ ने की। मामले को लेकर कोर्ट में सभी आइपीएस की गवाही भी दर्ज की गई। आइपीएस सौरभ ने 3 मार्च 2020 को जांच पूरी होने के बाद आरोपियों के खिलाफ कोर्ट में चार्जशीट दाखिल की। वहीं मामले में अभियोजन पक्ष की ओर से एपीपी मोहन कुमार ने 22 गवाहों के बयान दर्ज करवाए। गवाहों के बयानों के आधार पर कोर्ट ने दोनों आरोपियों को दोषी करार करते हुए सजा सुनाई।
घटना के मुताबिक तत्कालीन पुलिस कप्तान सौरभ की ओर से कोर्ट में पेश की गई चार्जशीट के मुताबिक गुलाम मुस्तफा की पत्नी आरोपी शहजादी खातून के आरोपी शाहिद अख्तर के साथ नाजायज रिश्ते थे। शहजादी के घर शाहिद का रोज का आना जाना था। मासूम परी भी अख्तर के घर आती थी। मासूम को इनके अवैध संबंधों के बारे में मालूम था। इसी डर की वजह से दोनों ने मासूम को अपने रास्ते से हटाने के लिए उसकी हत्या की साजिश रची। यह खुलासा साइंटिफिक जांच में पुलिस ने कोर्ट में प्रस्तुत किए गए प्रतिवेदन में किया है।
घटना के बाद पुलिस को अज्ञात हत्यारों का पता लगाने में काफी पसीने छूटे। पुलिस ने शक के आधार पर दोनों अरोपियों को अरेस्ट कर उनकी नार्को टेस्ट कराने को लेकर कड़ी मशक्कत की। मगर सफलता नहीं मिली। पुलिस की ओर से अदालत से परमिशन लेने के बाद भी आरोपितों ने नार्को टेस्ट नहीं करवाया। इससे पुलिस का शक पुख्ता हो गया। इसके बाद पुलिस जांच अधिकारी ने दोनों आरोपियों का गुजरात स्थित विज्ञान प्रयोगशाला में ले जाकर ब्रेन इलेक्ट्रिकल आस्किलेसन सिग्नेचर जांच करवाया गया। इसके बाद दोनों ने अपना अपराध कबूला।