Ranchi RIMS Helpline Number: अब सिर्फ एक कॉल पर दूर होगी आपकी सभी परेशानी, रिम्स ने जारी किया हेल्पलाइन नंबर

RIMS Facility: रांची में अब किसी भी तरह की परेशानी में रिम्स में कॉल कर मदद ली जा सकती है। अस्पताल प्रबंधन द्वारा इसकी सेवा निशुल्क दी जा रही है। इसके लिए एक कंट्रोल रूम की स्थापना की गई है। यह कंट्रोल रूम 24 घंटे सात दिन काम करेगा।

Call in RIMS, every problem will be solved
रिम्स में कॉल करें हर परेशानी होगी हल  |  तस्वीर साभार: Twitter
मुख्य बातें
  • अस्पताल के सभी विभागों के हेल्पलाइन नंबर भी जारी किए गए
  • कॉल करते ही संबंधित की समस्या का तत्काल किया जाएगा समाधान
  • हेल्पलाइन नंबर पर डॉक्टर, नर्स एवं अन्य संबंधित को किया जा सकता है कॉल

Ranchi RIMS Helpline Number: रिम्स अब कॉल पर लोगों की समस्या का निदान करेगा। इसके लिए अस्पताल प्रबंधन ने अपने सभी विभागों का हेल्पलाइन नंबर जारी कर दिया है। इससे अस्पताल में इलाज कराने के लिए आने वाले मरीजों को कोई दिक्कत नहीं आएगी। हेल्पलाइन नंबर पर कॉल करते ही समस्या का तत्काल समाधान किया जाएगा। अस्पताल प्रबंधन ने एक कंट्रोल रूम की स्थापना की है। 

इस बारे में अस्पताल के डायरेक्टर डॉ. कामेश्रर प्रसाद का कहना है कि, यह कंट्रोल रूम बिल्कुल निशुल्क सुविधा मुहैया कराएगा। कंट्रोल रूम का संचालन 24 घंटे सात दिन सुनिश्वित किया गया है। इन हेल्पलाइन नंबर पर डॉक्टर से नर्स एवं अन्य सभी तरह की सुविधाओं का लाभ उठाया जा सकता है। 

रिम्स को मिला इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च का प्रोजेक्ट

अस्पताल के निदेशक डॉ. कामेश्वर प्रसाद का कहना है कि, रिम्स को इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च का प्रोजेक्ट मिला है। प्रोजेक्ट में रिम्स के साथ देश के 20 अस्पताल जुड़ेंगे। इसके लिए रिम्स को को-ऑर्डिनेटर सेंटर बनाया गया है। इस सेंटर में लकवाग्रस्त मरीजों का बेहतर इलाज किया जाएगा। रिसर्च स्टडी पूरी करने के बाद इसकी रिपोर्ट आईसीएमआर और पब्लिकेशन को भेज दी जानी है। 

रिम्स को उपलब्ध कराया गया फंड

रिम्स को इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च ने फंड उपलब्ध करवाया है। दिल्ली एम्स, रोहतक का पीजीआईएमएस, दिल्ली का आईएचबीएएस, पटना का आईजीआईएमएस, शिमला, चेन्नई, मनिपाल, पुणे समेत दर्जनों अस्पताल के लोग प्रोजेक्ट में शामिल होने हैं। प्रोजेक्ट ट्रेनिंग को-ऑर्डिनेटर डॉ. अर्पिता राय का कहना कि, डिपार्टमेंट ऑफ हेल्थ रिसर्च ने रिम्स को 30 लाख रुपए दिए हैं। इससे तीन साल की ट्रेनिंग पूरी की जाएगी। पहले वर्ष का रिसर्च पूरा भी हो चुका है। 6 हफ्ते में गुड क्लिनिकल रिसर्च प्रैक्टिस के पहले साल का फेलोशिप कार्यक्रम पूरा किया गया है। इस कार्यक्रम में 40 प्रतिभागी थे। इनमें से 32 को फेलोशिप मिला है। डॉ. अर्पिता का कहना है कि, सूबे के मेडिकल और डेंटल कॉलेज के प्रतिभागी शामिल हुए थे। इनमें प्राध्यापक, पीजी और पीएचडी के विद्यार्थी रहे। 

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