लखनऊ। उत्तर प्रदेश बेसिक शिक्षा परिषद द्वारा संचालित प्राथमिक विद्यालयों में सहायक अध्यापक के 31661 पदों पर नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू करने का शासनादेश गुरुवार को जारी कर दिया गया। बेसिक शिक्षा विभाग की अपर मुख्य सचिव रेणुका कुमार ने शासनादेश में कहा है कि राज्य में शिक्षकों की कमी, नए शिक्षा सत्र को देखते हुए और सुप्रीम कोर्ट के आदेश के आलोक में करीब 38 हजार पद शिक्षामित्रों को छोड़कर बाकी रिक्त पदों के लिए सहायक अध्यापकों की नियुक्ति का शासनादेश जारी कर दिया है।
शासन ने सुप्रीम कोर्ट के 21 मई 2020 व नौ जून 2020 के आदेश के अनुपालन में सहायक अध्यापकों 69 हजार रिक्त पदों के सापेक्ष शिक्षामित्रों के लिए 37339 पदों को छोड़ते हुए शेष 31661 पदों पर भर्ती की प्रक्रिया पूर्व घोषित परिणाम के आधार पर पूर्ण करने का निर्णय लिया है।मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का निर्देश मिलते ही बेसिक शिक्षा विभाग ने तैयारी तेज कर दी है। इसी क्रम में गुरुवार को बेसिक शिक्षा विभाग अपर मुख्य सचिव रेणुका कुमार ने शासनादेश भी जारी कर दिया। बेसिक शिक्षा विभाग के प्राथमिक स्कूलों व उच्च प्राथमिक स्कूलों में सहायक अध्यापकों के पदों पर भर्ती के लिए इंतजार कर रहे युवाओं को इस फैसले से काफी मानसिक राहत मिली है।
ज्ञात हो कि बेसिक शिक्षा विभाग ने 69 हजार शिक्षकों की भर्ती के लिए जनवरी 2019 को शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) का आयोजन किया था। विभाग ने टीईटी परीक्षा उत्तीर्ण करने के लिए सामान्य वर्ग के अभ्यर्थियों का 65 प्रतिशत अंकऔर पिछड़ा वर्ग व अन्य आरक्षित वर्ग के लिए 69 फीसद अंक निर्धारित किए थे। इसे लेकर अभ्यर्थी कोर्ट चले गए, खासकर शिक्षामित्रों ने विरोध किया था।बीती 21 मई 2020 को सुप्रीम कोर्ट ने इन 69 हजार पदों में से करीब 38 हजार शिक्षामित्रों के लिए छोड़कर बाकी पदों पर भर्ती करने के निर्देश दिए थे। ऐसे में अब राज्य सरकार ने हते भर में सहायक अध्यापक के 31,661 पदों पर भर्ती प्रक्रिया पूरी करने के निर्देश दिए हैं।
यूपी में 69000 सहायक शिक्षकों की भर्ती में 31661 पदों को भरने के योगी सरकार के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है। बीटीसी छात्रों की वकील रितु रेनुवाल ने 22 सितंबर को शीर्ष अदालत में याचिका दाखिल कर 31661 पदों पर भर्ती के यूपी सरकार के नोटिफिकेशन पर रोक लगाने की मांग की है। याचिका में कहा गया है कि 69000 शिक्षक भर्ती मामले में सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रखा हुआ है। ऐसी स्थिति में जब तक कोर्ट का फैसला नहीं आता है, 31661 पदों की भर्ती पर रोक लगाई जानी चाहिए।