Career in Apiculture: कोरोना संक्रमण शुरू होने के बाद से ही इम्युनिटी बूस्टर फूड की मांग में जर्बदस्त बढ़ोत्तरी हुई है। बढ़े हुए इस डिमांड के मुकाबले सप्लाई कम पड़ रही है। इस गैप को पूरा करने व उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए अब इस सेक्टर का आधुनिकीकरण हो रहा है। इम्युनिटी बूस्टर फूड तैयार करने वाले इस सेक्टर में शामिल है। एपीकल्चर (मधुमक्खी पालन)। ग्रामीण क्षेत्र में बेराजगार युवाओं के लिए इस सेक्टर को वरदान माना जाता है। इसका सबसे बड़ा कारण है कि युवा एपीकल्चर का कोर्स कर जॉब हासिल करने के अलावा कम से कम लागत में अपना खुद का व्यवसाय शुरू कर अच्छी कमाई कर सकते हैं।
एपीकल्चर में कोर्स व योग्यता:
एपीकल्चर में कई तरह के सर्टिफिकेट, डिप्लोमा अथवा डिग्री कोर्स उपलब्ध है। डिप्लोमा व डिग्री कोर्स के लिए साइंस से ग्रेजुएशन करने के बाद कर सकते हैं। इनमें डिप्लोमा इन बीकीपिंग, सर्टिफिकेट कोर्स इन बीकीपिंग, रॉक-बी हैंडलिंग, एलिमेंट्री बीकीपिंग, एनालिसिस ऑफ हनी शामिल हैं। इसके अलावा कुछ ऐसे कोर्स भी हैं, जिसे किसी भी स्ट्रीम से ग्रेजुएशन करने वाले छात्र कर सकते हैं। इनमें शॉर्ट टर्म कोर्स बीकीपिंग, क्वीन बी पालन, पोलीनेशन, बी पैथोलॉजी, हनी प्रोसेसिंग आदि। इन सभी कोर्स में एक हफ्ते से लेकर 9 महीने तक ट्रेनिंग दी जाती है।
एपीकल्चर में करियर:
एपीकल्चर में मधुमक्खी का पालन, मधुमक्खियों का प्रबंधन और व्यावसायिक स्तर पर शहद व मोम का उत्पादन किया जाता है। अगर आप गांव में रहकर ही रोजगार करना चाहते हैं तो आप बहुत कम लागत में मधुमक्खी पालन शुरू कर आसानी से अच्छी कमाई कर सकते हैं। मधुमक्खी पालन के लिए आपको किसी बड़े जगह की जरूरत भी नहीं पड़ेगी। इस काम को घर की छत से लेकर मेड़ के किनारे, खेत या फिर तालाब के किनारे आसानी से किया जा सकता है।
मधुमक्खी पालन में कमाई:
मधुमक्खी पालन का व्यवसाय शुरू करने के लिए लकड़ी का बॉक्स, बॉक्सफ्रेम, मुंह पर ढकने के लिए जालीदार कवर, दस्तानें, रिमूविंग मशीन, शहद इकट्ठा जैसे कुछ जरूरी चीजों की ही जरूरत पड़ती है। मध्यम स्तर पर मधुमक्खी पालन करने पर हर माह आसानी से 1 से 1.5 लाख रुपए तक की कमाई हो सकती है।
वहीं अगर सरकारी जॉब करते है तो वेतनमान सरकार द्वारा निर्धारित किया जाता है। इसी तरह प्राइवेट कंपनियों में एपीकल्चर की डिग्री के साथ अनुभवी व्यक्ति 20 से 50 हजार रुपये तक की जॉब हासिल कर सकता है।