Aasan Rules According To Vastu: जीवन में सुख समृद्धि पाने के लिए व्यक्ति पूजा पाठ करता है। लोग अपने घर के मंदिर में रोजाना पूजा पाठ करते हैं। प्रतिदिन सुबह उठकर नहा धोकर पूजा पाठ करना शुभ माना जाता है। पूजा पाठ करने से मन को शांति मिलती है और घर में भी सुख समृद्धि का वास होता है। पूजा करते वक्त आसन जरूर बिछाया जाता है। उस आसन पर बैठकर ही व्यक्ति पूजा करता है।
धार्मिक दृष्टि से देखा जाएं तो बैठकर ही पूजा करना सही माना जाता है। ऐसे में खाली जमीन पर नहीं बैठना चाहिए। भगवान की पूजा अर्चना करते समय आसन का प्रयोग जरूर करना चाहिए। इसका भी अपना अलग महत्व होता है। शास्त्रों में पूजा आसन से जुड़े कई महत्वपूर्ण बातों के बातों का जिक्र किया गया है। जिसका ध्यान रखना बेहद जरूरी होता है। अगर आप भी पूजा करते समय आसन का इस्तेमाल करते हैं तो जान लीजिए इससे जुड़े सही नियम के बारे में।
इस आसन का करें इस्तेमाल
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार पूजा पाठ करते समय ऊन व कंबल का आसन सबसे अच्छा आसन माना जाता है। इन आसन पर बैठकर ही पूजा करनी चाहिए। इसके अलावा कुशा के आसन का इस्तेमाल सबसे अच्छा होता है। ध्यान रहे कि कुशा के आसन का प्रयोग श्राद्ध कर्म में नहीं करना चाहिए। आसन का रंग लाल, नारंगी होना चाहिए। इन रंगों से मां लक्ष्मी, भगवान हनुमान व मां दुर्गा प्रसन्न होती है।
इस आसान का न करें इस्तेमाल
इसके अलावा चटाई दरी पटरी आदि चीजों को आसन के रूप में इस्तेमाल न करें। इन चीजों का आसन ज्योतिष शास्त्र में शुभ नहीं माना गया है। ब्रह्म पुराण में कहा गया है कि ‘वंसासने तु दरिद्राम पाषाने व्याधि सम्भव, धरण्याम दुख संभूति, दौरभाग्यम छिद्र दारूजे, त्रने धन हानि, यशो हानि, पल्लव चित्त विभ्रम.’ अर्थात् बांस से दरिद्रता, पत्थर से रोग, पृथ्वी पर दुख, लकड़ी से दुर्भाग्य, तिनके पर धन और यश हानि और पत्तों पर पूजा करने से मन भ्रमित हो जाता है।
आसन उठाने से पहले इन बातों का रखें ध्यान
(डिस्क्लेमर : यह पाठ्य सामग्री आम धारणाओं और इंटरनेट पर मौजूद सामग्री के आधार पर लिखी गई है। टाइम्स नाउ नवभारत इसकी पुष्टि नहीं करता है।)
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