Aja Ekadashi 2021 ki Vrat Katha: भाद्रपद माह की कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को अजा एकादशी कहते है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा अर्चना की जाती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस व्रत को करने से अश्वमेघ यज्ञ से भी अधिक फल की प्राप्ति होती है। इस दिन भगवान विष्णु के भक्त व्रत के नियमों को अपनाते हुए श्रीहरि की पूजा अर्चना करते हैं। मान्यताओं के अनुसार जो व्यक्ति इस व्रत को सच्चे मन से करता है वह इस लोक में सुख भोगकर अंत में विष्णु लोक को जाता है। इस व्रत में नियमों का पालन करने से भगवान श्री हरि सभी मनोकामनाएं पूर्ण कर देते है।
इस साल अजा एकादशी व्रत 3 सितंबर दिन शुक्रवार को है। यदि आप भी भगवान विष्णु के भक्त है और उनकी पूजा अर्चना करते हैं तो अजा एकादशी व्रत जरूर करें। उस दिन व्रत के साथ कथा जरूर पढ़ें और सुनाएं। ऐसा करने से श्री हरि सभी विघ्न-बाधाएं शीघ्र दूर कर देते है। यहां आप भगवान श्री हरि की अजा एकादशी व्रत कथा पढ़ सकते है।
अजा एकादशी व्रत कथा, अजा एकादशी की पौराणिक कहानी
बहुत पुरानी बात है। एक राज्य में हरिश्चंद्र नाम का एक राजा रहता था। वह अपने राज्य को पुत्रों की भांति प्रेम करता था। राज्य के सभी लोग खुशहाल जिंदगी जीते थे। कुछ समय बाद राजा की शादी हुई। शादी होने के कुछ दिनों बाद राजा को एक पुत्र हुआ। लेकिन राजा के पिछले जन्म के बुरे कर्म उनके आज के सुखों में आग लगा दिया।
इस कारण से राजा दुखी रहने लगा। दूसरे राज्य के राजा ने उनके राज्य पर अधिकार जमा लिया। राज्यहीन होकर राजा दर-दर भटकने लगा। वह दो वक्त की रोटी पाने के लिए चांडाल के पास काम करना शुरू कर दिया। राजा मृतकों के शव को अग्नि देने के लिए लकड़ियां काटने का काम करने करता था।
इस तरह की जिंदगी को व्यतीत करने के कुछ ही दिनों बाद राजा को यह एहसास हो गया कि उसके पिछले जन्म के बुरे कर्म के वजह से ही उसे ऐसा दिन देखना पड़ रहे हैं। एक दिन राजा लकड़ियां काटने के लिए जंगल को गया। वह लकड़ियां लेकर घर वापस लौट रहा था, तभी अचानक उसकी नजर एक ऋषि जिनका नाम गौतम था पर पड़ी। उन्हें देखते ही राजा लकड़ियां छोड़ हाथ जोड़कर बोला हे ऋषि आपको शत-शत प्रणाम।
आप तो भली-भांति जानते है कि मैं इस समय कितने बुरे दौर से गुजर रहा हूं। हे ऋषि आपसे हाथ जोड़कर निवेदन है आप मुझ पर अपनी कृपा दृष्टि बनाए और नर्क भरे इस जिंदगी को जीने के लिए मुझे ताकत दें। राजा के यह वचन को सुनकर ऋषि गौतम ने कहा हे राजन तू परेशान ना हो। यह सब तुम्हारे पिछले जन्म के कर्मों का ही फल है।
कुछ समय बाद ही भाद्रपद माह आने वाला है। इस माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी को अजा एकादशी व्रत करों। यह व्रत करने से जीवन के सभी दुख दूर हो जाते है। ऋषि का यह वचन सुन राजा भगवान श्रीहरि की अजा एकादशी व्रत करना शुरू कर दिया। व्रत के प्रभाव से राजा के जीवन के सभी दुख दूर हो गए।
उसे अपना राज्य वापस मिल गया। ऐसा होने के बाद स्वर्ग से नगाड़े बजने लगें। पुष्पों की वर्षा होने लगी। इस व्रत को करने के बाद राजा को साक्षात ब्रह्मा, विष्णु, महेश तथा देवेंद्र जैसे बड़े-बड़े देवताओं के दर्शन हो गए। व्रत को करने के बाद राजा ने अपने मृतक पुत्र को जीवित पाया। व्रत के प्रभाव से राजा की पत्नी पहले जैसे राजश्री वस्त्र और आभूषणों से सजने लगी।
इस व्रत को करने से राजा के जीवन की सभी परेशानियां शीघ्र खत्म हो गए। इस व्रत के प्रभाव से राजा अपने परिवार के साथ स्वर्ग लोक को गए।
(Note : ये लेख आम धारणाओं पर आधारित है। टाइम्स नाउ नवभारत इसकी पुष्टि नहीं करता है।)
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