केवल अक्षय तृतीया के द‍िन ही होते हैं बांके बिहारी के इस स्वरूप के दर्शन!

आध्यात्म
Updated Apr 17, 2018 | 14:48 IST | टाइम्स नाउ डिजिटल

अक्षय तृतीया को आखा तीज और परशुराम जयंती भी कहा जाता है। लेकिन इस पर्व का भगवान कृष्‍ण से भी संबंध है। जानें ऐसा क्‍या है कि उनके भक्‍त अक्षय तृतीया वाले द‍िन वृंदावन में उमड़ते हैं और पूरा माहौल उनकी लीला से सराबोर होता है -

Shri Krishna  |  तस्वीर साभार: Thinkstock

नई दिल्ली: 18 अप्रैल को इस बार अक्षय तृतीया है। किसी भी अच्छे काम की शुरुआत के लिए इस मुहूर्त को बेहद शुभ माना जाता है। अक्षय यानी अनंत फल देने वाला और तृतीया यानी कि तीसरा दिन। बैसाख महीने की तृतीया को अक्षय तृतीया कहते हैं। हिंदू धर्म में ऐसी पौराणिक मान्‍यता है कि इस दिन जो भी काम किया जाए उसका कई गुना फल म‍िलता है। अक्षय तृतीया के दिन कान्हा की नगरी वृंदावन में भारी भीड़ उमड़ती है। क्योंकि इसी दिन बांके बिहारी के उस अद्भुत स्वरुप के दर्शन होते हैं जो साल भर भक्त लोग नहीं कर पाते हैं। अक्षय तृतीया पर साल में एक बार प्रभु के चरणों के दर्शन होते हैं। मान्‍यता है कि इस दिन प्रभु के चरणों के दर्शन करने से भक्‍तों को विशेष कृपा मिलती है। इस दिन भगवान चरणों पर चंदन का लेप किया जाता है। 

अक्षय तृतीया के द‍िन वृंदावन में भारी भीड़ उमड़ती है। वजह है कि इस दिन जो बांके बिहारी मंदिर के दर्शन होते हैं वह सिर्फ इसी दिन ही होते हैं और साल में यह मौका सिर्फ एक बार ही आता है। अक्षय तृतीया के दिन इस मंदिर में भक्‍तों का तांता लगा रहता है। क्योंकि कान्हा के अराधक अपने प्रभु को इस दिन अद्भुत रुप में देखते है जिसका मौका उन्हें सिर्फ एक बार ही मिलता है। यही वजह है कि भक्‍त अपने आराध्‍य बांके बिहारी की एक झलक पाने के लिए दूर-दूर से यहां चले आते हैं।

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 बांके बिहारी जी के चरणों के दर्शन
दरअसल, पूरे साल में सिर्फ अक्षय तृतीया के ही दिन बांके बिहारी जी के चरणों के दर्शन होते हैं। जिसे विग्रह स्वरुप भी कहा जाता है। बांके बिहारी  मंदिर में साल भर भगवान के चरण वस्‍त्रों और फूलों से ढके रहते हैं। ऐसी पौराणिक मान्‍यता है कि अक्षय तृतीया के दिन बांके बिहारी के चरणों के दर्शन करने से भक्‍त पर प्रभु की विशेष कृपा बरसती है। इसलिए बांके बिहारी के चरणों के दर्शन के लिए सुबह से ही हर साल इस दिन भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है और मंदिर के कपाट बंद होने तक यह सिलसिला जारी रहता है। बांके बिहारी जी के चरणों के साथ ही सर्वांग दर्शन का मौका भक्त निहारते रह जाते हैं। 

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गौर हो कि वृंदावन में बांके बिहारी जी का भव्य मंदिर है। इस मंदिर में बिहारी जी की काले रंग की एक प्रतिमा है। इस प्रतिमा के विषय में मान्यता है कि इस प्रतिमा में साक्षात् श्री कृष्ण और राधा समाए हुए हैं। इसलिए इनके दर्शन मात्र से राधा कृष्ण के दर्शन का फल मिल जाता है। मान्यता है कि बांके बिहारी मंदिर में इसी विग्रह के दर्शन होते हैं और जो भी श्री कृष्ण के इस विग्रह का दर्शन करता है, उसकी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। 

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