नई दिल्ली: 29 दिसंबर यानि आज मंगलवार को भगवान दत्तोश्रेय की जयंती मनाई जा रही है। पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक इस दिन भगवान दत्तात्रेय का जन्म हुआ था। मान्यताओं के अनुसार भगवान दत्तोश्रेय को ब्रम्हा, विष्णु और महेश तीनों का स्वरूप माने जाते है। वहीं शैव संप्रदाय को लोग दत्तात्रेय को भगवान शिव का रूप और वैष्णव संप्रदाय के लोग भगवान विष्णु का स्वरूप मानते हैं। उन्हें श्री गुरुदेवदत्त के नाम से भी जाना जाता है।
हिंदु कैलेंडर के अनुसार दत्तात्रेय का जन्म मार्गशार्ष माह की पूर्णिमा को प्रदोषकाल में हुआ था। इस दिन विधि विधान से भगवान शिव की पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और जीवन में सुख समृद्धि की प्राप्ति होती है। तो आइए जानते हैं भगवान दत्तात्रेय की जयंती पर पूजा का शुभ मुहुर्त और पूजा विधि।
दत्तात्रेय भगवान का स्वरूप
ऐसा माना जाता है कि भगवान दत्तात्रेय के तीन सिर और छह भुजाएं हैं। इनके अंदर ब्रम्हा, विष्णु और महेश तीनों समाहित हैं। भगवान दत्तात्रेय को भगवान विष्णु का छठा रूप भी माना जाता है। दत्तात्रेय जयंती पर इनके बालरूप की पूजा की जाती है। मान्यता के अनुसार भगवान दत्तात्रेय सर्वव्यापी और दयालु हैं, यह संकट के समय अपने भक्तों पर बहुत जल्द कृपा करते हैं।
दत्तात्रेय जयंती का शुभ मुहुर्त
दत्तात्रेय जयंती – 29 दिसंबर 2020, मंगलवार
पूर्णिमा तिथि की शुरुआत – सुबह 7:54
पूर्णिमा तिथि की समाप्ति – सुबह 08:57 तक
पूजा विधि
दत्तात्रेय की जयंती के अवसर पर सुबह उठकर स्नान करें और स्वच्छ कपड़े धारंण कर पूजा की चौकी को साफ करें और उसपर गंगा जल का छिड़काव कर उसे स्वच्छ करें। अब उस पर आसन बिछाएं और भगवान दत्तोश्रेय के बालरूप के प्रतिमा को स्थापित करें। भगवान दत्तात्रेय की मूर्ति के साथ भगवान शिव और श्रीहरि भगवान विष्णु की भी मूर्ति स्थापित करें। इसके बाद भगवान दत्तात्रेय के मंत्रों का जाप और पाठ करें। यदि संभद हो तो पूरे दिन ब्रम्हचर्य के नियमों का पालन करते हुए उपवास भी रखना चाहिए। ऐसा करने से भगवान दत्तात्रेय की कृपा अपने भक्तों पर सदा बनी रहती है और उनकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
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