Bada Ganesh Ji : त्रिनेत्र धारी हैं इस मंदिर में व‍िराजमान गणेशजी, दर्शन से रोग ही नहीं हर कष्ट होता है दूर

Bada Ganesh Ji temple of Varanasi: भगवान शिव की नगरी में उनके पुत्र गणपति जी का एक मंदिर ऐसा हैं जहां वह स्वयं भी त्रिनेत्रधारी हैं। बड़ा गणेश के नाम से प्रसिद्ध इस मंदिर का इतिहास हजारों साल पुराना है।

Bada Ganesh Ji temple of Varanasi, वाराणसी स्थित बड़ा गणेश
Bada Ganesh Ji temple of Varanasi, वाराणसी स्थित बड़ा गणेश 
मुख्य बातें
  • इस मंदिर में स्वयंभू है भगवान की प्रतिमा
  • 40 खंभों पर बना है यह सुप्रसिद्ध मंदिर
  • विघ्नहर्ता के यहां दर्शन से दूर होते हैं कष्ट

काशी यानी वाराणसी में भगवान गणपति का विशेष और प्रमुख मंदिर है बड़ा गणेश। यहां इन्हें वक्रतुण्ड के नाम से भी जाना जाता है। यहां गणपति जी की प्रतिमा स्वयंभू हैं और उनके दो नहीं अपने पिता शिवजी के तरह तीन नेत्र हैं। सिंदूरी रंग गणेश प्रतिमा के दर्शन करने मात्र से मनुष्य के बहुत से कष्ट दूर हो जाते हैं। माना जाता है कि बड़ा गणेश भगवान के दर्शन-पूजन से सारे ही रुके हुए कार्य पूरे हो जाते हैं और तरक्की की राह आसान हो जाती है। गणपति जी यहां अपनी पत्नी रिद्धि-सिद्धि और पुत्र शुभ-लाभ के साथ यहां विराजमान है। इस मंदिर में देवी मन्सा, संतोषी मां और हनुमान जी भी मौजूद हैं। वहीं गर्भगृह में गणपति जी तो गर्भगृह के बाहर उनकी सवारी मूषकराज विराजमान हैं।

यह मंदिर वाराणसी के लोहटिया में स्थित है। यहां गणेशजी की स्वयंभू प्रतिमा है और यहां बंद कपाट में भगवान की खास पूजा होती है। इसे देखने की किसी को अनुमति नहीं होती है। मंदिर का इतिहास दो हजार साल पुराना बताया जाता है। खास बात ये है कि ये मंदिर 40 खंभों पर टिका है और मंदिर में 40 खंभे होना बहुत ही शुभ माना जाता है। मीनाकारी और पत्थरों को तराश कर इस मंदिर को बनाया गया है। यहां गणपति जी चांदी के छत्र के नीचे विराजमान हैं। मान्यता है की एक जमाने में बाबा विश्वनाथ के करीब से होते हुए गंगा प्रवाहित होती थी। ढुंढीराज गणेश जो विश्वनाथ द्वार पर हैं और उनके स्वरुप की भी यहां पूजा होती है।

मंदिर का इतिहास 2000 साल पुराना बताया जाता है। कहा जाता है कि उस समय काशी में गंगा के साथ मंदाकिनी का अस्तित्व था। उसी समय भगवान गणपति की ये प्राकृतिक प्रतिमा नदी से निकली थी। इसे अपने मूल रूप में आज भी मंदिर में देखा जा सकता है। साढे 5 फुट बड़ी इस प्रतिमा है गणपति जी के तीन नेत्र हैं। गणपति जी यहां अपने पूरे परिवार के साथ विराजमान है और गणपति जी के त्रिनेत्र होने के कारण इस मंदिर का महत्व ज्यादा बढ़ जाता है। मान्यता है कि यहां आने वाले हर भक्त की झोली गणपति जी जरूर भरते हैं।

गणपति जी कि यहां पूजा जब भी करें उनका पंचामृत से स्नान जरूर करें। इसके बाद दूर्वा और लड्डू का भोग लगाएं। यदि आप बड़ा गणेश से कोई मनोकामना पूरी कराना चाहते हैं तो बुधवार के दिन यहां आकर उनकी विधिवत पूजन करें और उसके बाद उनसे अपनी कामना कहें। साथ ही यह भी वचन दे कर जाएंग कि यदि उनकी कामना पूरी हुई तो वह फिर से विधिवत पूजन कर उनका आशीर्वाद लेने आएंगे।

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