Pithori Amavasya 2022 Vrat Puja Importance: हिंदू पंचांग के अनुसार प्रत्येक माह अमावस्या तिथि पड़ती है, जिसे अलग-अलग नामों से जाना जाता है और इनका विशेष महत्व भी होता है।। भाद्रपद माह में पड़ने वाली अमावस्या को पिठोरी अमावस्या कहा जाता है। इस बार पिठोरी अमावस्या का व्रत शनिवार 27 अगस्त 2022 को रखा जाएगा। कई जगह पिठोरी अमावस्या को कुशोत्पतिनी अमावस्या या पोला पिठोरा भी कहा जाता है। पिठोरी अमावस्या के दिन मं दुर्गा की पूजा की जाती है। इस दिन महिलाएं आटे की मूर्ति बनाकर संतान और सुहाग के लिए पूजा-अर्चना करती हैं। जानते हैं पिठोरी अमावस्या व्रत की पूजा विधि और महत्व के बारे में।
27 अगस्त को है पिठोरी अमावस्या
इस साल पिठोरी अमावस्या शनिवार 27 अगस्त 2022 को है। धार्मिक कथाओं के अनुसार माता पार्वती ने इंद्राणियो को इस व्रत के बारे में बताया था। इस व्रत को करने से निःसंतानों को संतान रत्न की प्राप्ति होती है। जो माताएं इस व्रत को करती हैं उन्हें संतान की दीर्घायु और अच्छे स्वास्थ्य का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
आटे की मूर्तियां पूजती हैं महिलाएं
पिठोरी अमावस्या के दिन महिलाएं आटा गूंथकर 64 मूर्तियां बनाती हैं। ये 64 मूर्तियां मां दुर्गा सहित 64 देवियों को समर्पित होती हैं। इस दिन इन्हीं मूर्तियों की पूजा कर महिलाएं संतान रत्न प्राप्ति और उनके स्वस्थ जीवन की कामना करती हैं। पिठोरी अमावस्या का व्रत व पूजन केवल सुहागिन महिलाएं ही कर सकती हैं। कुंवारी कन्याएं इस व्रत को नहीं करती।
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पिठोरी अमावस्या का महत्व
पिठोरी अमावस्या के दिन पवित्र नदी में स्नान और ब्राह्मणों को दान करने का विशेष महत्व होता है। मान्यताओं के अनुसार इस दिन नदी स्नान के पश्चात तर्पण करने और पितरों के लिए दान करने का विशेष महत्व है। ऐसा माना जाता है कि पिठोरी अमावस्या के दिन तर्पण करने और पिंडदान करने से पितृ दोष से मुक्ति मिलती है और पितृ प्रसन्न होकर आशीर्वाद देते हैं। जब पितृ यानी पूर्वज खुश होते हैं तो उनका आशीर्वाद पूरे परिवार पर बरसता है और घर में खुशहाली आती है। पिठोरी अमावस्या कई मायनों में खास है। इस दिन अपने पूर्वजों के लिए तर्पण भी किया जाता है और देवी रूपों की पूजा भी की जाती है।
(डिस्क्लेमर : यह पाठ्य सामग्री आम धारणाओं और इंटरनेट पर मौजूद सामग्री के आधार पर लिखी गई है। टाइम्स नाउ नवभारत इसकी पुष्टि नहीं करता है।)
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