Bhajan bhakti songs: शुक्रवार को करें माता सन्तोषी की आरती, होगी मनोकामना पूरी

आध्यात्म
Updated Mar 14, 2019 | 15:29 IST | टाइम्स नाउ डिजिटल

Santoshi Maa Aarti In Hindi : शुक्रवार को माता लक्ष्मी का होता है और उन्हीं का स्वरूप हैं संतोषी माता। संतोषी माता मनोकामनाओं को पूरा करने वाली देवी हैं। इनकी आरती इस दि जरूर करनी चाहिए।

Bhagwaan ke bhajan bhakti songs aarti
Bhagwaan ke bhajan bhakti songs aarti   |  तस्वीर साभार: Instagram

Santoshi maata ki puja aur bhajan: संतोषी माता का व्रत और उनकी पूजा करने से माना जाता है कि सारी मनोकामनाएं भक्तों की पूरी हो जाती हैं। वह दुखहर्ता और सौभाग्य देने वाली देवी हैं। उनकी पूजा करने से भक्तों को सुख और समृद्धि की प्राप्ति होती है, लेकिन उनकी पूजा में विशेष सावधानी बरती जरूरी होती है अन्यथा उनकी पूजा बेकार हो जाती है। इतना ही नहीं पूजा में गलती पर मां रुष्ट हो जाती हैं। मान्यता है कि माता की अगर 16 शुक्रवार तक विधिवत पूजा और व्रत कर लिया जाए तो भक्तों की हर मनोकामना पूर्ण होती है और उनका कष्ट दूर हो जाता है।

ऐसे करें माता की पूजा
माता का साफ-सफाई बेहद पंसद है इसलिए शुक्रवार के दिन सबसे पहले घर की सफाई करें। स्नान आदि के बाद पूजा स्थल की सफाई करें और इसके बाद पूजा की सारी सामग्री तथा किसी बड़े पात्र में शुद्ध जल भरकर पूजा स्थल पर रखें। जल भरे पात्र पर गुड़ और चने से भरकर दूसरा पात्र रखें। अब माता पर जल चढ़ा कर सिंदूर, वस्त्र, और गुड़ चने के साथ मां की पूजा करें।

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इसके बाद संतोषी माता की कथा का पाठ करें या सुनें, फिर आरती करें। प्रसाद में गुड़-चने बांटें। बड़े पात्र में भरे जल को घर में सभी स्थानों पर छिड़क दें तथा शेष जल को तुलसी में डाल दें।

संतोषी माता की आरती
जय सन्तोषी माता, मैया जय सन्तोषी माता।
अपने सेवक जन की सुख सम्पति दाता ।।

जय सन्तोषी माता....
सुन्दर चीर सुनहरी मां धारण कीन्हो।
हीरा पन्ना दमके तन श्रृंगार लीन्हो ।।

जय सन्तोषी माता....
गेरू लाल छटा छबि बदन कमल सोहे।
मंद हंसत करुणामयी त्रिभुवन जन मोहे ।।

जय सन्तोषी माता....
स्वर्ण सिंहासन बैठी चंवर दुरे प्यारे।
धूप, दीप, मधु, मेवा, भोज धरे न्यारे।।

जय सन्तोषी माता....
गुड़ अरु चना परम प्रिय ता में संतोष कियो।
संतोषी कहलाई भक्तन वैभव दियो।।

जय सन्तोषी माता....
शुक्रवार प्रिय मानत आज दिवस सोही।
भक्त मंडली छाई कथा सुनत मोही।।

जय सन्तोषी माता....
मंदिर जग मग ज्योति मंगल ध्वनि छाई।
बिनय करें हम सेवक चरनन सिर नाई।।

जय सन्तोषी माता....
भक्ति भावमय पूजा अंगीकृत कीजै।
जो मन बसे हमारे इच्छित फल दीजै।।

जय सन्तोषी माता....
दुखी दारिद्री रोगी संकट मुक्त किए।
बहु धन धान्य भरे घर सुख सौभाग्य दिए।।

जय सन्तोषी माता....
ध्यान धरे जो तेरा वांछित फल पायो।
पूजा कथा श्रवण कर घर आनन्द आयो।।

जय सन्तोषी माता....
चरण गहे की लज्जा रखियो जगदम्बे।
संकट तू ही निवारे दयामयी अम्बे।।

जय सन्तोषी माता....
सन्तोषी माता की आरती जो कोई जन गावे।
रिद्धि सिद्धि सुख सम्पति जी भर के पावे।।

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ध्यान रखने योग्य बातें
माता संतोषी के व्रत के उद्यापन में बालकों को ही पूजा जाता है। शुक्रवार को संतोषी माता की पूजा के बाद कम से कम 8 बालकों को खीर-पूड़ी खिलाएं। दक्षिणा व केले का प्रसाद दें। शुक्रवार का व्रत करने वालों को खट्टी चीजों को छूना तक नहीं चाहिए।

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