Vishnu ji Aarti Bhajan: गुरुवार को सुनिये विष्णुजी की ये आरती, सभी जन्मों का कष्‍ट होगा दूर

आध्यात्म
Updated Mar 06, 2019 | 22:16 IST | टाइम्स नाउ डिजिटल

भगवान विष्णु जी की आरती यदि हर गुरुवार कर ली जाए तो एक नहीं कई जन्मों का उद्धार हो सकता है। यदि बृहस्पति नीच का हो तो गुरुवार को भगवान विष्णु की आरती करने से भी ये प्रभाव कम हो जाता है। तो आइए आज उनकी आरती करें

Vishnu ji Aarti Bhajan
Vishnu ji Aarti Bhajan 

Bhagwaan ke bhajan: विष्णु जी गुरु यानी बृहस्पति का प्रतिनिधित्व करते हैं और उनकी पूजा ही बृहस्पति की पूजा मानी जाती है। इतना ही नहीं केले के रूप को भी भगवान विष्णु का ही अवतार माना जाता है। पीला रंग बृहस्पति ग्रह का प्रतिनिधित्व करता है। यही कारण है कि बृहस्पति की पूजा में पीली चीजों को ही महत्व दिया जाता है। इस दिन पीले चंदन से भगवान की पूजा की जाती है और भक्त के साथ भगवान को भी पीला वस्त्र ही धारण कराना चाहिए। पीला फल और पीला प्रसाद ही भगवान को चढ़ाया जाता है। साथ ही फूल भी पीला होना जरूरी होता है।

केला, पीले फूल, बेसन के लड्डू या पीले मीठे चावल भगवान विष्णु के सबसे प्रिय प्रसाद में माने जाते हैं। इसलिए जिन भक्त को भगवान विष्णु या बृहस्पति को प्रसन्न करना है उन्हें विधिवत गुरुवार के दिन केले की जड़ में जल अर्पित कर पूजा करनी चाहिए। साथ ही बृहस्पति कथा भी पढ़ना और आरती करना जरूरी होता है।

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ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी! जय जगदीश हरे

ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी! जय जगदीश हरे।
भक्तजनों के संकट क्षण में दूर करे॥
जो ध्यावै फल पावै, दुख बिनसे मन का।
सुख-संपत्ति घर आवै, कष्ट मिटे तन का॥ ॐ जय...॥
मात-पिता तुम मेरे, शरण गहूं किसकी।
तुम बिनु और न दूजा, आस करूं जिसकी॥ ॐ जय...॥
तुम पूरन परमात्मा, तुम अंतरयामी॥
पारब्रह्म परेमश्वर, तुम सबके स्वामी॥ ॐ जय...॥
तुम करुणा के सागर तुम पालनकर्ता।
मैं मूरख खल कामी, कृपा करो भर्ता॥ ॐ जय...॥
तुम हो एक अगोचर, सबके प्राणपति।
किस विधि मिलूं दयामय! तुमको मैं कुमति॥ ॐ जय...॥
दीनबंधु दुखहर्ता, तुम ठाकुर मेरे।
अपने हाथ उठाओ, द्वार पड़ा तेरे॥ ॐ जय...॥
विषय विकार मिटाओ, पाप हरो देवा।
श्रद्धा-भक्ति बढ़ाओ, संतन की सेवा॥ ॐ जय...॥
तन-मन-धन और संपत्ति, सब कुछ है तेरा।
तेरा तुझको अर्पण क्या लागे मेरा॥ ॐ जय...॥
जगदीश्वरजी की आरती जो कोई नर गावे।
कहत शिवानंद स्वामी, मनवांछित फल पावे॥ ॐ जय...॥

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भगवान विष्णु की कुछ विशेष बातें भी जानें

विष्णु जी के चार हाथ जीवन के इन चार चरणों को बताते हैं। पहला, ज्ञान की खोज, दूसरा पारिवारिक जीवनको दर्शाता है, तीसरा वन में वापसी और चौथा संन्यास को दर्शाता है। उनके कानों के दो कुंडल दो विपरित स्थितियों को दर्शाते हैं। जैसे ज्ञान और अज्ञान, सुख और दुख। मुकुट पर लगा मोर पंख उनके कृष्ण अवतार को दर्शाता है। भगवान की छाती पर बना श्रीवस्ता उनके लक्ष्मी प्रेम का प्रतीक है। विष्णु जी की नाग पर लेटने का अर्थ है सुख और दुख का आना-जाना। भगवान विष्णु के इस आरती को करने भर से आपको मिलेगी असीम आनंद की प्राप्ति

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