Bhalchandra Sankashti Chaturthi : हिंदू धर्म में भगवान श्री गणेश को प्रथम पूजनीय स्थान दिया गया है। भगवान श्री गणेश की पूजा अर्चना किए बिना कोई भी कार्य सही तरीके से पूर्ण नहीं होता है। ऐसी मान्यता है कि भगवान श्री गणेश जिस भक्तों पर प्रसन्न होते है, उनके जीवन के कष्टों को हमेशा के लिए दूर कर देते हैं। भक्तों की परेशानी को दूर करने की वजह से उनका नाम विघ्नहर्ता भी है। भगवान श्री गणेश की पूजा पढ़ाई लिखाई में आने वाले विघ्न बाधाओं को दूर करने में मदद करता है।
भालचंद्र संकष्टी चतुर्थी में भगवान श्री गणेश की पूजा अर्चना की जाती है। इस साल यह 31 मार्च को मनाया जाएगा। हिंदू धर्म के अनुसार इस दिन भगवान श्री गणेश की पूजा अर्चना का बहुत बड़ा महत्व होता है। आपको बता दें कि हिंदू पंचांग में प्रत्येक महीने में दो चतुर्थी तिथि आती है। पहली शुक्ल पक्ष और दूसरी कृष्ण पक्ष में।
भालचंद्र संकष्टी चतुर्थी व्रत पर पूजा करने का शुभ मुहूर्त
भालचंद्र संकष्टी चतुर्थी व्रत दिन- बुधवार
तारीख- 31 मार्च 2021
भालचंद्र संकष्टी चतुर्थी व्रत : चंद्रोदय समय
रात 9 बजकर 39 मिनट
भालचंद्र संकष्टी चतुर्थी तिथि प्रारंभ- 31 मार्च 2021
समय 2 बजकर 6 मिनट (दोपहर)
भालचंद्र संकष्टी चतुर्थी तिथि समाप्त- 1 अप्रैल 2021
समय- 10 बजकर 59 मिनट (सुबह)
भालचंद्र संकष्टी चतुर्थी व्रत का महत्व
भालचंद्र संकष्टी चतुर्थी व्रत की ऐसी मान्यता है, कि जो कोई व्यक्ति इस व्रत को सच्चे आस्था के साथ करता है, उसकी सभी मनोकामनाएं भगवान श्री गणेश पूर्ण करते हैं। इस दिन व्रती भगवान की पूजा दो बार करते हैं। इस पूजा में भगवान चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद ही पूजा पूर्ण होती है। इस इस दिन भगवान श्रीगणेश को तिल, गुड़, लड्डू और मोदक प्रसाद के रूप में चढ़ाया जाता हैं। इस दिन व्रती भगवान श्री गणेश की पूजा अर्चना उनके मंत्र उच्चारण का जाप करके करते है। हिंदू धर्म के अनुसार इस पूजा को विधि-विधान से करने पर भगवान श्री गणेश बहुत प्रसन्न होते है।
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