बक्सर: आस्था और विरासत की धरती बिहार अपने मंदिरों और पर्यटन स्थलों के लिए पूरे देश में प्रसिद्ध है मगर ऐसे भी कई मंदिर हैं जो सैकड़ों रहस्य खुद में समेटे हुए हैं मगर लोग उनसे आज भी अनजान हैं। आज हम आपको एक ऐसे मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं जिसकी तुलना कोणार्क के सूर्य मंदिर से होती है। बक्सर जिले से करीब 30 किलोमीटर दूर राजपुर प्रखंड स्थित देवढ़िया गांव में 1400 साल पुराना एक सूर्य मंदिर है। यह ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व की वजह से महत्वपूर्ण है। स्थानीय लोगों के मुताबिक यह मंदिर महान सम्राट हर्षवर्धन (606-647 ई.) के समय बना था, जिसका कई बार जीर्णोद्धार हुआ। इस मंदिर में स्थापित प्रतिमाओं की तुलना कोणार्क के सूर्य मंदिर से होती है।
मंदिर के बनने और प्रतिमा के प्रकट होने की भी कहानी बेहद दिलचस्प है, लोगों की मानें तो तालाब निर्माण के क्रम में 7 कुएं निकले थे, और इन्हीं में भगवान भास्कर और अन्य देवताओं की मूर्तियां मिली थी। यह तालाब आज भी मंदिर के बगल में मौजूद है। लोगों का विश्वास है कि यहां के तालाब में स्नान कर मंदिर में भगवान भास्कर की पूजा करने से कुष्ठ सहित कई असाध्य बीमारियां ठीक हो जाती है। ऐतिहासिक और पौराणिक महत्व के साथ-साथ प्रसिद्ध मान्यताओं के कारण यहां छठ व्रत करने के लिए बिहार कोने-कोने से लोग यहां आते हैं और सूर्योपासना का चार दिवसीय महापर्व छठ व्रत करते हैं। मंदिर प्रांगण में एक पीपल का पेड़ भी मौजूद है, मान्यता है कि ये मंदिर की स्थापना के वक्त से ही यहां मौजूद है।
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सूर्य मंदिर का गर्भ लगभग 20x 25 फीट का है और इसमें काले चिकने पत्थर की सूर्य प्रतिमा स्थापित है। करीब 1400 साल पुरानी इस प्रतिमा की ऊंचाई लगभग 3 फीट है। ओडिशा के कोणार्क मंदिर जैसी ही भगवान सूर्य की छोटी प्रतिमाएं यहां पर भी स्थापित हैं। इस प्रतिमा को सोने की आंखें लगवाई गईं हैं। भगवान सूर्य के अलावा यहां गणेश, शंकर समेत कई देवी-देवताओं की दर्जन भर से अधिक मूर्तियां स्थापित हैं।
मंदिर के प्रवेश द्वार के चौखट पर एक अनजान लिपि लिखी गई है। सैकड़ों शोध हुए मगर आजतक कोई भी इसका रहस्य नहीं जा पाया। मंदिर की बनावट और दीवारों पर लिखे शब्द मंदिर के ऐतिहासिक होने का प्रमाण देते हैं। देवढ़िया का सूर्य मंदिर बक्सर जिले का इकलौता सूर्य मंदिर है, देर से ही सही मगर अब इसके महत्व को देखते हुए इसे पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने की कवायद भी तेज हो गई है। कुछ स्थानीय लोगों की पहल के बाद अब धार्मिक न्यास बोर्ड और जिला प्रशासन भी इसे देशभर में ख्याति दिलाने में लगा हुआ है। यहां ADM, BDO, CO समेत जिले के कई बड़े अधिकारी दौरा कर चुके हैं। स्थानीय लोगों को भी उम्मीद है कि जल्द ही यह मंदिर पुराने वैभव प्राप्त करेगा।
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