Chaitra Navaratri: मां दुर्गा के नौ रूपों में मां ब्रह्माचारिणी की पूजा की जाती है। मां की पूजा नवरात्र की द्वितीया तिथि पर होती है। मां ब्रह्माचारिणी की पूजा करने से जातक को जीवन में कठिन क्षणों में भक्तों को आत्मबल और संबल देता है। मां ब्रह्माचारिणी का स्वरूप पूर्ण ज्योतिर्मय और भव्य होता है। वह अपने भक्तों को अनंत देने वाली मानी गई हैं। मां की आराधना करने वालों में अपने आप शक्ति का आभास होता है।
मां की उपासना करने से जीवन में कभी अपने कर्तव्य और अपने पथ से विचलित नहीं हेाता। मां ब्रह्माचारिणी की कृपा से भक्तों को सर्वत्र सिद्धि और विजय की प्राप्ति होती है। मां की उपासना करने से भक्तों को सही राह और हिम्मत भी मिलती है। तो आइए मां की आरती करें।
आरती देवी ब्रह्माचारिणी जी की
जय अंबे ब्रह्माचारिणी माता।
जय चतुरानन प्रिय सुख दाता।
ब्रह्मा जी के मन भाती हो।
ज्ञान सभी को सिखलाती हो।
ब्रह्मा मंत्र है जाप तुम्हारा।
जिसको जपे सकल संसारा।
जय गायत्री वेद की माता।
जो मन निस दिन तुम्हें ध्याता।
कमी कोई रहने न पाए।
कोई भी दुख सहने न पाए।
उसकी विरति रहे ठिकाने।
जो तेरी महिमा को जाने।
रुद्राक्ष की माला ले कर।
जपे जो मंत्र श्रद्धा दे कर।
आलस छोड़ करे गुणगाना।
मां तुम उसको सुख पहुंचाना।
ब्रह्माचारिणी तेरो नाम।
पूर्ण करो सब मेरे काम।
भक्त तेरे चरणों का पुजारी।
रखना लाज मेरी महतारी।
मां ब्रह्माचारिणी जी का मंत्र
या देवी सर्वभूतेषू सृष्टि रूपेण संस्थिता,
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।
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