नवरात्रि साल में दो बार आती है। एक चैत्र तो दूसरी शारदीय नवरात्रि होती है। दोनों में ही पूजा के नियम और व्रत करने का पुण्य समान रूप से मिलता है। चैत्र नवरात्रि में नवमी के दिन पूजा खास होती है क्योंकि इस दिन रामनवमी भी होती है। चैत्र नवरात्रि की पूजा और व्रत करने से पहले उसके नियम जरूर जान लें। नवरात्रि पूजा की शुरुआत निर्मल मन के साथ करनी चाहिए। इसके बाद व्रत का संकल्प लेना चाहिए। कई लोग नवरात्रि में पूरे नौ दिन का व्रत रखते हैं और कुछ लोग नौ दिन व्रत नहीं करते केवल पूजा करते हैं। ऐसे में दोनों ही स्थितियों में नियम थोड़े से अलग होते हैं। तो आइए जानें कि चैत्र नवरात्रि की पूजा और व्रत में किन नियमों का पालन करना चाहिए।
नवरात्रि पूजा में कलश की स्थापना:
यदि आप नौ दिन का व्रत करने वाले हैं तो आपको नवरात्रि के पहले दिन ही कलश और जटा नरियल की स्थापना करनी होगी। पहले वेदी बना लें और उस पर कलश में जल भर कर उसपर जौ और गेहूं रखें। इसके बाद कलश पर लाल कपड़ा रखें और उसपर आम के हरे पत्ते, दूर्वा और नारियल को स्थापित करें। फिर नारियल पर मौली बांध दें। इसी दिन आपको अखंड ज्योति भी जलानी होगी, जो पूरे नौ दिन तक जलेगी। ज्योत बुझने न पाए इस बात का ध्यान रखें। साथ ही पूजन सामग्री में फल, मुद्रा और माता की चुनरी जरूर होनी चाहिए। कलश स्थापना के बाद गणेश पूजन करें।
जोड़ा व्रत रखना चाहिए
नवरात्रि में यदि नौ दिन का व्रत जो नहीं रख सकते उन्हें जोड़ा व्रत का नियम जरूर पालन करना चाहिए। यानी पहली नवरात्रि व्रत के बाद आखिरी नवरात्रि का व्रत रखने का नियम। इस दौरान आप रोज देवी की पूजा जरूर करें। चाहें तो अखंड ज्योत जला लें। यदि अखंड ज्योत नहीं जला रहे तो सुबह- शाम माता के समक्ष दीप जलाएं और भोग लगाएं।
ब्रह्म मुहूर्त में उठने की डालें आदत
नवरात्रि में सबसे जरूरी है ब्रहम मुहूर्त में उठना। यदि आप देवी की कृपा का पात्र बनना चाहते हैं तो आपको इस नियम का पालन जरूर करना चाहिए। सूर्य उगने से पूर्व आप दैनिक कार्यों से मुक्त हो कर नहा लें और पूजा की तैयारी कर लें। उगते सूर्य को अर्घ्य देने के बाद देवी पूजा प्रारंभ करें।
वेदी पर स्थापित करें मां की प्रतिमा
वेदी के किनारे पर देवी की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करें। ये प्रतिमा किसी धातु, पाषाण, मिट्टी या तस्वीर भी हो सकती है। इसके बाद प्रतिमा का आसन, पाद्य, स्नान, वस्त्र, गंध, अक्षत, पुष्प, धूप, दीप, नैवेद्य, आचमन, पुष्पांजलि, नमस्कार, प्रार्थना आदि से पूजन करें।
करें दुर्गा सप्तशती का पाठ
दुर्गा सप्तशती का पाठ व दुर्गा स्तुति करें। पाठ-स्तुति के बाद दुर्गाजी की आरती कर प्रसाद वितरित करें। हो सके तो रोज एक कन्या को भोजन जरूर कराएं और फिर स्वयं फलाहार ग्रहण करें।
खानपान में सावधानी
नवरात्रि में खानपान को लेकर बहुत सतर्क रहना चाहिए। नवरात्रि में यदि आप व्रत नहीं रह रहे तो भी आपको सात्विक भोजन करना चाहिए। प्याज, लहसुन, मांस-मदिरा से इन दिनों बिलकुल दूर रहना चाहिए। साथ ही जो व्रत रखते हैं उन्हें फलहार ग्रहण करने की छूट है।
प्रतिपदा के दिन घर में ही ज्वार बोएं
प्रतिपदा के दिन घर में ही ज्वार बोए जाते हैं। नवमी के दिन इन ज्वरों को जिसमें बोया गया उसे किसी नदी या तालाब में विसर्जित कर दें। अष्टमी तथा नवमी महातिथि मानी जाती हैं। इन दोनों दिनों पारायण के बाद हवन करें फिर यथाशक्ति कन्याओं को भोजन कराएं।
तो नवरात्रि पूजा के इन नियमों का पालन कर आप देवी मां को प्रसन्न कर सकते हैं।
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