Chaitra Purnima 2022 Date, Vrat Vidhi, Shubh Muhurat: यूं तो वर्ष की सभी पूर्णिमा तिथि बहुत खास मानी जाती हैं, लेकिन चैत्र मास की पूर्णिमा तिथि का विशेष महत्व है। मान्यताओं के अनुसार, चैत्र मास की पूर्णिमा तिथि पर व्रत रखने वाले भक्तों को सौभाग्य की प्राप्ति होती है। चैत्र पूर्णिमा को चैती पूनम और चैत पूरनमासी के नाम से भी जाना जाता है। हिंदू धर्म शास्त्रों के अनुसार, पूर्णिमा तिथि पर भगवान विष्णु, माता लक्ष्मी और चंद्र देव की पूजा-आराधना करने से भक्तों को विशेष लाभ की प्राप्ति होती है। कहा जाता है कि चैत्र पूर्णिमा का व्रत रखने वाले भक्तों पर भगवान विष्णु प्रसन्न रहते हैं और उनकी सभी इच्छाओं को पूरी करते हैं। इस दिन माता लक्ष्मी की भी पूजा-आराधना करने से आर्थिक तंगी से छुटकारा मिलता है। यहां जानें वर्ष 2022 में चैत्र पूर्णिमा कब है और इस दिन कैसे व्रत रखना चाहिए।
चैत्र पूर्णिमा तिथि और मुहूर्त (Chaitra Purnima 2022 Date And Muhurat)
चैत्र पूर्णिमा तिथि: 16 अप्रैल 2022, शनिवार
पूर्णिमा तिथि प्रारंभ: 16 अप्रैल, शनिवार सुबह 2:25
पूर्णिमा तिथि समापन: 17 अप्रैल, रविवार सुबह 12:24
राहुकाल: सुबह 09:08 से सुबह 10:45 तक
भद्रा: सुबह 05:55 से दोपहर 01:28 तक
पूर्णिमा पर चांद का समय: 16 अप्रैल शनिवार शाम 6:27
चैत्र पूर्णिमा पर कैसे रखें व्रत? (Chaitra Purnima 2022 Vrat Vidhi In Hindi)
सनातन धर्म में चैत्र पूर्णिमा तिथि बेहद विशेष मानी गई है। पंडितों के अनुसार, इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर नित्य क्रियाओं से निवृत्त होकर स्नान अवश्य करना चाहिए। इस दिन पवित्र नदी या सरोवर में स्नान करना कल्याणकारी माना गया है। लेकिन अगर आपके लिए नदी या सरोवर में स्नान करना संभव नहीं है तो इस दिन अपने नहाने के पानी में गंगाजल मिला लें। स्नान करने के बाद व्रत का संकल्प लें। इसके बाद भगवान सत्यनारायण की विधि अनुसार पूजा करें। भगवान सत्यनारायण के साथ इस दिन माता लक्ष्मी की भी पूजा करें। चैत्र पूर्णिमा पर हनुमान जयंती भी है, ऐसे में बजरंगबली की पूजा-अर्चना अवश्य करें। रात में चंद्र को अर्घ्य देकर अपने व्रत का पारण करें।
चैत्र पूर्णिमा का महत्व क्या है? (Chaitra Purnima 2022 Mahatva)
चैत्र पूर्णिमा पर भगवान विष्णु के साथ माता लक्ष्मी की पूजा करने से सभी बिगड़े हुए काम बन जाते हैं। चैत्र पूर्णिमा का व्रत रखने वाले भक्तों को यश और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है। मान्यताओं के अनुसार, इस दिन सत्यनारायण की कथा का पाठ करने से व्रत का फल कई गुना अधिक हो जाता है। इस दिन स्नान और दान करने का भी विशेष महत्व है।
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