Significance Of Four Navratri: शनिवार 2 अप्रैल से चैत्र नवरात्रि शुरू हो चुकी है। नवरात्रि के पहले दिन देशभर में माता शैलपुत्री की पूजा-अर्जना की गई। चैत्र नवरात्रि के साथ ही हिंदू नववर्ष की भी शुरुआत हो जाती है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि पूरे साल में एक नहीं बल्कि चार तरह की नवरात्रि मनाई जाती है। ज्यादातर लोग चैत्र और अश्विन माह में पड़ने वाली चैत्र नवरात्रि और शारदीय नवरात्रि के बारे में ही जानते हैं। इसके अलावा दो अन्य नवरात्रि भी पड़ती है, जिसे गुप्त नवरात्रि कहा जाता है। सभी नवरात्रि का अपना विशेष महत्व होता है और इनमें पूरे नौ दिनों तक माता के नौ रूपों की पूजा-अर्चना की जाती है।
पूजा, जाप, उपवास का प्रतीक है नवरात्रि
नौ शक्तियों के मिलन को नवरात्रि कहा जाता है। इसमें मां भगवती के नौ रूपों की पूजा की जाती है। शुक्लपक्ष की प्रतिपदा से लेकर महानवमी तक भक्त पूजा-अर्चना, जाप और उपवास कर मां को प्रसन्न करते हैं। देव पुराण के अनुसार पूरे साल में चार नवरात्रि पड़ती है। हिंदू नववर्ष की शुरुआत के साथ चैत्र माह में पहली नवरात्रि होती है। इसके बाद चौथे माह आषाढ़ में दूसरी नवरात्रि। फिर अश्विन माह में तीसरी व प्रमुख नवरात्रि होती है, इसे शारदीय नवरात्रि कहते हैं और ग्यारहवें महीने माघ में चौथी नवरात्रि मनाई जाती है।
प्रकट या प्रमुख नवरात्रि- चैत्र नवरात्रि और शारदीय नवरात्रि को प्रमुख नवरात्रि कहा जाता है। इसमें मां भगवती के नौ रूपों की पूजा-अर्चना की जाती है। ये त्योहार पूडा पंडाल, भोज, मेला, जगराता और कीर्तन-भजन के साथ बड़े पैमाने पर सार्वजनिक रूप से मनाया जाता है। इसलिए इसे प्रकट नवारात्रि भी कहते हैं। इसमें नौ दिनों तक मां दुर्गा के नौ रूपों शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कुष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायिनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है।
गुप्त नवरात्रि- माघ और आषाढ़ माह में पड़ने वाली नवरात्रि को गुप्त नवरात्रि कहते हैं। जिस तरह प्रकट नवरात्रि में देवी के नौ रूपों की पूजा होती है, ठीक उसी तरह गुप्त नवरात्रि में दस महाविद्याओं की साधना की जाती है। गुप्त नवारत्रि में साधक गुप्त सिद्धियां पाने के लिए विशेष साधना करते हैं और चमत्कारी शक्तियां प्राप्त करते हैं। इस नवरात्रि में माँ काली, तारा देवी, त्रिपुर सुंदरी, भुवनेश्वरी, माता छिन्नमस्ता, त्रिपुर भैरवी, माँ ध्रूमावती, माँ बगलामुखी, मातंगी और कमला देवी की पूजा की जाती है।
(डिस्क्लेमर: यह पाठ्य सामग्री आम धारणाओं और इंटरनेट पर मौजूद सामग्री के आधार पर लिखी गई है। टाइम्स नाउ नवभारत इसकी पुष्टि नहीं करता है।)
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