कुशल राजनीतिज्ञ, चतुर कूटनीतिज्ञ और प्रकांड अर्थशास्त्री के रूप में विश्वविख्यात आचार्य चाणक्य का नीतिशास्त्र व्यक्ति के जीवन में काफी उपयोगी माना गया है। इन्हीं नीतियों के बल पर चाणक्य ने चंद्रगुप्त मौर्य को सम्राट बना दिया। चाणक्य ने मानव समाज के लगभग हर पहलू पर अपने विचार रखे हैं। आपको बता दें चाणक्य को विष्णुगुप्त और कौटिल्य के नाम से भी जाना जाता है। चाणक्य ने अपने नीतिशास्त्र में बताया है कि घर को स्वर्ग कैसे बनाया जा सकता है और कौन से घर श्मशान के समान होते है। ऐसे में आइए जानते हैं हम अपने घर को स्वर्ग कैसे बना सकते हैं और कौन से घर श्मशान के समान होते हैं।
ज्ञानी और पंडितों का निरादर होता हो
आचार्य चाणक्य ने अपने एक श्लोक के माध्यम से इसका वर्णन किया है। चाणक्य ने अपने श्लोक के माध्यम से बताया है कि जिस घर में ज्ञानी और पंडितों का आदर सत्कार नहीं होता यानि निरादर किया जाता है। वह घर श्मशान के समान होता है। ऐसे घरों में मनुष्य का नहीं मुर्दों का निवास स्थान माना जाता है।
नकारात्मक शक्तियों का रहता है वास
चाणक्य ने अपने नीतिशास्त्र में वर्णन किया है कि जिस घर में स्वाहा स्वाधा अर्थात् यज्ञ कर्म व हवन नहीं होता और घर में वेद पुराणों की ध्वनि नहीं गूंजती, वहां पर नकारात्मक शक्तियों का वास होता है। जिससे जीवन हमेशा दुख और तकलीफों से घिरा रहता है। ऐसे घरों को श्मशान समझना चाहिए।
वहीं जिस घर में नियमित तौर पर यज्ञ, कर्म हवन इत्यादि किया जाता है और ब्राम्हणों का आदर सत्कार किया जाता है। वहां सकारात्मक शक्तियों का संचार होता है और नकारात्मक शक्तियों का अंत होता है। ऐसे घर को स्वर्ग माना जाता है, जहां देवी देवाताओं का वास होता है।
जहां पर होता हो इसका सेवन
आचार्य चाणक्य के अनुसार जिस घर में मास मच्छी और मदिरा का सेवन किया जाता है, ऐसा घर हमेशा दुख और तकलीफों से घिरा रहता है। यहां पर नकारात्मक शक्तियों का वास होता है और सकारात्मक शक्तियां घर से दूर रहती हैं। ऐसे घरों को आचार्य चाणक्य ने श्मशान की उपाधि दी है।
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