कोरोना की दूसरी लहर थमने का नाम नहीं ले रही है। दिन प्रतिदिन कोरोना अपना महाविस्फोटक रूप लेता जा रहा है। स्वस्थ रहना लोगों लिए चुनौतीपूर्ण बना हुआ है। ऐसे में इस दौरान हम कोरोना के प्रति तमाम एहतियात बरतकर इस व्यापक महामारी से लड़ सकते हैं। साथ ही आचार्य चाणक्य द्वारा स्वस्थ रहने के लिए बताए गए कुछ विशेष नियमों को अपनी दिनचर्या में लागू कर स्वस्थ रह सकते हैं।
आचार्य चाणक्य ने जीवन के लगभग हर पहलू पर अपने विचार रखे हैं, जो आज के युग में भी काफी प्रासंगिक हैं। आचार्य चाणक्य के स्वास्थ्य मंत्र को अपनी दिनचर्या में लागू कर आप गंभीर बीमारियों मात दे सकते हैं औऱ इसके संक्रमण दे दूर रह सकते हैं। ऐसे में आइए जानते हैं आचार्य चाणक्य के स्वास्थ्य मंत्र।
खाने व पानी पीने का सही तरीका:
आचार्य चाणक्य ने स्वस्थ रहने के लिए अपनी नीतिशास्त्र में पानी पीने व भोजन करने का एक सही तरीका बताया है। इसके अनुसार व्यक्ति को भोजन करने के तुरंत बाद पानी नहीं पीना चाहिए।
चाणक्य के अनुसार खाना खाने के बाद पानी एक औषधि के रूप में काम करता है। इसलिए भोजन के तुरंत बाद पानी ना ग्रहंण करें तथा खाने के बीच पानी का सेवन ना करें बल्कि खाना खाने के कुछ देर बाद पानी ग्रहंण करें।
यदि खाना खाने के करीब एक घंटे बाद पानी पीना शरीर के लिए काफी फायदेमंद होता है। वहीं यदि खाने के बीच में थोड़ा थोड़ा पानी पिया जाए तो यह अमृत समान होता है, लेकिन खाने के तुरंत बाद पानी पीना जहर समान होता है। इसलिए भूलकर भी ये गलती ना करें।
जड़ी बूटियों का करें सेवन:
आचार्य चाणक्य ने अपने नीतिशास्त्र में प्राकृतिक औषधियों को सर्वश्रेष्ठ माना है। इसमें भी वह गिलोय के सेवन को बीमारी से बचने के लिए औऱ इसके संक्रमण से दूर रहने के लिए रामबांण कहते हैं। ऐसे में स्वस्थ रहने के लिए प्रतिदिन गिलोय का सेवन अवश्य करें।
स्वस्थ रहने के लिए इन 4 चीजों को डाइट में करें शामिल:
चाणक्य कहते हैं कि ख़ड़े अनाज की तुलना में पिसा हुआ अनाज अधिक फायदेमंद होता है। तथा पिसे हुए अनाज की तुलना में 10 गुना अधिक पौष्टिक दूध माना जाता है और दूध की तुलना में 10 गुना अधिक पौष्टिक मांस होता है। वहीं मांस मच्छी की तुलना में घी का सेवन अधिक लाभदायक होता है। ऐसे में स्वस्थ रहने के लिए इन 4 चीजों का सेवन अवश्य करें।
भोजन को ना नहीं करना चाहिए:
एक श्लोक के माध्यम से आचार्य चाणक्य कहते हैं कि खाने को भूलकर भी ना नहीं करना चाहिए। सब सुखों में भोजन प्रधान है, अर्थात् किसी भी तरह का सुख हो लेकिन सबसे ज्यादा आनंद भोजन करने में आता है। इसलिए अन्न का कभी अपमान ना करें।
तनाव से रहें मुक्त:
चाणक्य कहते हैं स्वस्थ रहने के लिए व्यक्ति को अपने शरीर के साथ आंखों का विशेष ध्यान रखना चाहिए। तथा मानसिक तनाव से व्यक्ति को खुद को दूर रखना चाहिए। यदि आप तनाव से ग्रस्त होंगे तो अनेकों बीमारियां आपको घेर लेंगी। इसलिए हमेशा तनाव से मुक्त रहें इसके लिए नियमित तौर पर योग करें।
रोजाना करें मालिस:
एक श्लोक के माध्यम से आचार्य चाणक्य कहते हैं कि त्वचा व चेहरे की खूबसूरती निखारने के लिए नियमित तौर पर तेल से मालिस करें। मालिस त्वचा व चेहरे की खूबसूरती बढ़ाने में कारगार होता है।
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