Chanakya Niti in Hindi: घुटने टेकने को मजबूर हो जाएगा ताकतवर शत्रु, आचार्य चाणक्य की मान लें ये तीन बातें

Chanakya Niti in Hindi: चाणक्या नीति में जीवन की सफलता के कई सूत्र दिए हुए हैं। इसके अलावा इन नीतियों में शत्रुओं पर विजय पाने के भी कई अचूक मंत्र दिए गए हैं। जानिए दुशमनों पर विजय पाने पर क्या कहती है चाणक्य नीति...

Chanakya Neeti, चाणक्य नीति
Chanakya Neeti, चाणक्य नीति 
मुख्य बातें
  • चाणक्य नीति ने दुशमन पर विजय पाने के लिए बताए हैं अचूक मंत्र।
  • चाणक्य ने बताया है कि दुश्मन से कभी भी नहीं घबराना चाहिए।
  • आचार्य चाणक्य के अनुसार शत्रु को कभी भी कम नहीं आंकना चाहिए।

Chanakya Niti for Enemy. आचार्य चाणक्य की नीतियां हजारों साल बाद भी प्रासंगिक है। जीवन से जुड़ी हर एक समस्या और हर एक सवाल का जवाब अचार्य चाणक्य की नीतियों में है। चाणक्य नीति को अपनी जिंदगी में अपनाकर मनुष्य अपना जीवन सफल बना सकती है। वहीं, दुशमन पर विजय हासिल करने के लिए तीन अचूक मंत्र दिए हैं। इसे अपनाकर आप अपने शत्रुओं को आसानी से जीत सकते हैं। 

आचार्य चाणक्य (Chanakya Niti In Hindi) के अनुसार मनुष्य दुशमन पर विजय पाने के लिए सबसे जरूरी है कि आपको कभी भी उससे नहीं घबराना चाहिए। हमेशा कोशिश करें की आप उनसे ज्यादा ताकतवर बन जाएं। चाणक्य नीति में इस बात का जिक्र किया गया है की शत्रु कितना भी ताकतवर क्यों ना हो, लेकिन उसके सामने कभी घुटने नहीं टेकने चाहिए। इसके लिए सबसे जरूरी है कि आप मानसिक तौर पर मजूबत रहें। ये जरूरी नहीं कि आपको हमेशा जीत ही मिलेगी। यदि आप हारते भी हैं तो उससे सबक लें और अपनी गलतियों में सुधार लाएं। 

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न बताएं अपनी योजना 
आचार्य चाणक्य के अनुसार शत्रु को कभी भी कम नहीं आंकना चाहिए। यदि दुशमन की ताकत का सही आंकलन आपकी जीत को निश्चित कर देता है। इससे आपकी जीत भी सुनिश्चित हो जाती है। शत्रु को यदि कम समझेंगे तो वह आपकी हर कमजोरी पर वार करने की कोशिश करेगा। इसके अलावा समझदार व्यक्ति अपनी महुत्वपूर्ण योजनाओं को सभी के साथ शेयर नहीं करता है। जब योजना पूर्ण हो जाए तभी उसे बताएं। यदि आप पहले ही सब बताएंगे तो शत्रु फायदा उठा सकता है। 

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इस वक्त अधिक बरते सतर्कता 
शत्रु यदि आपसे ज्यादा शक्तिशाली हो और दिखाई भी न दें तो ये अधिक खतरनाक होता है। वहीं, दुशमन यदि अधिक शक्तिशाली है तो आपको छिपकर उसे पराजित करने की योजना बनानी चाहिए।

शत्रु से छिपकर स्वयं की शक्ति में वृद्धि करते रहने चाहिए। इसके अलावा आचार्य चाणक्य का मानना है कि शत्रु की गतिविधियों को कभी भी नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। दुश्मन की हर हरकत से वाकिफ होना जरूरी है।

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